________________ 246] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र _ [108 प्र.] भगवन् ! एकप्रदेशावगाढ और द्विप्रदेशावगाढ पुद्गलों में प्रदेशार्थ-रूप से कौन किससे यावत् विशेषाधिक हैं ? [108 उ.] गौतम ! एकप्रदेशावगाढ पुद्गलो से द्विप्रदेशावगाढ पुद्गल प्रदेशार्थरूप से विशेषाधिक हैं। 106. एवं जाव नवपएसोगाहितो पोग्गलहितो दसपएसोगाढा पोग्गला पएसटुताए विसेसाहिया। दसपदेसोगाढेहितो पोग्गलेहितो संखेज्जपएसोगाढा पोग्गला पएसट्टयाए बहुया / संखेज्जपएसोगाढेहितो पोग्गलेहितो असंखेज्जपएसोगाढा पोग्गला पएसट्टयाए बहुया। [109] इसी प्रकार यावत् नवप्रदेशावगाढ पुद्गलों से दशप्रदेशावगाढ पुद्गल प्रदेशार्थ से विशेषाधिक हैं। दशप्रदेशावगाढ पुद्गलों से संख्यात प्रदेशावगाढ पुद्गल प्रदेशार्थ से बहुत हैं। संख्यातप्रदेशावगाढ पुद्गलों से असंख्यातप्रदेशावगाढ पुद्गल प्रदेशार्थ से बहुत हैं। 110. एएसि णं भंते ! एगसमयद्वितीयाणं दुसमय द्वितीयाण य पोग्गलाणं दवद्वताए ? जहा प्रोगाहणाए बत्तम्वया एवं ठितीए वि। [110 प्र.] भगवन् ! एक समय की स्थिति वाले और दो समय की स्थिति वाले पुद्गलों में द्रव्यार्थरूप से कौन किससे यावत् विशेषाधिक हैं ? [110 उ.] गौतम ! अवगाहना की वक्तव्यता के अनुसार स्थिति की वक्तव्यता जाननी चाहिए। विवेचन—एकप्रदेशावगाढ--परमाणु से लेकर अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक एकप्रदेशावगाढ होते हैं / द्विप्रदेशावगाढ-द्वयणुक से लेकर अनन्त-अणुकस्कन्ध तक द्विप्रदेशावगाढ होते हैं / त्रिप्रदेशावगाह-त्रिप्रदेशी स्कन्ध से लेकर अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक त्रिप्रदेशावगाढ होते हैं। इस प्रकार चतुष्प्रदेशावगाढ से लेकर असंख्यातप्रदेशावगाढ स्कन्ध तक जान लेना चाहिए।' एक गुण काले प्रादि वर्ण तथा गन्ध-रस-स्पर्श वाले पुद्गलों की वक्तव्यता 111. एएसि णं भंते ! एगगुणकालगाणं दुगुणकालगाण य पोग्गलाणं दत्वद्वताए.? एएसि जहा परमाणुपोग्गलादीणं तहेव वत्तव्वया निरवसेसा। [111 प्र.] भगवन् ! एकगुण काले और द्विगुण काले पुद्गलों में द्रव्यार्थरूप से कौन किनसे यावत् विशेषाधिक हैं ? [111 उ.] गौतम ! परमाणुपुद्गल आदि की वक्तव्यता के अनुसार इनकी सम्पूर्ण वक्तव्यता जाननी चाहिए। 112. एवं सन्वेसि वण्ण-गंध-रसाणं। [112] इसी प्रकार सभी वर्गों, गन्धों और रसों के विषय में वक्तव्यता जाननी चाहिए। 1. (क) भगवती. प्र. वृत्ति, पत्र 879 ... (ख) भगवती. (हिन्दी-विवेचन) भा. 7, पृ. 3285 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org