________________ 344] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [RE प्र.भगवन् ! दशप्रदेशी स्कन्धों और संख्यातप्रदेशी स्कन्धों में द्रव्यार्थ से कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? [66 उ. गौतम ! दशप्रदेशिक स्कन्धों से संख्यातप्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से बहुत हैं। 100. एएसि णं संखज्ज० पुच्छा। गोयमा ! संखेज्जपएसिएहितो खंहितो असंखेज्जपएसिया खंधा दवट्ठयाए बहुया। [100 प्र.] भगवन् ! इन संख्यातप्रदेशी स्कन्धों और असंख्यातप्रदेशी स्कन्धों में द्रव्यार्थ से कोन किससे० ? इत्यादि प्रश्न / / [100 उ.] गौतम ! संख्यातप्रदेशी स्कन्धों से असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से बहुत हैं / 101. एएसि णं भंते ! असंखेज्ज० पुच्छा। गोयमा ! अणंतपएसिएहितो खंहितो असंखेज्जपएसिया खंधा दवट्ठयाए बहुया / | 101 प्र. भगवन् ! असंख्यातप्रदेशी स्कन्धों और अनन्तप्रदेशी स्कन्धों में द्रव्यार्थ से कौन किससे ? इत्यादि प्रश्न / [101 उः गौतम ! अनन्तप्रदेशी स्कन्धों से असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से बहुत हैं। 102. एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं दुपएसियाण य खंधाणं पएसट्टयाए कयरे कयरेहितो बहुया ? गोयमा ! परमाणुपोग्गलेहितो दुपएसिया खंधा पएसट्टयाए बहुया। [102 प्र.] भगवन् ! परमाणु-पुद्गल और द्विप्रदेशी स्कन्धों में प्रदेशार्थरूप से कौन किसमें बहुत हैं ? [102 उ.] गौतम ! परमाणु-पुद्गलों से द्विप्रदेशी स्कन्ध प्रदेशार्थरूप से बहुत हैं। 103. एवं एएणं गमएणं जाव नवपएसिएहितो खंहितो दसपएसिया खंधा पएसट्टयाए बहुया। _ [103] इस प्रकार इस गमक (पाठ) के अनुसार यावत् नवप्रदेशी स्कन्धों से दशप्रदेशी स्कन्ध प्रदेशार्थरूप से बहुत हैं। 104. एवं सम्वत्थ पुच्छियन्वं / वसपएसिहितो खंहितो संखेज्जपएसिया खंधा पदेसट्टयाए बहुया / संखेज्जपएसिएहितो असंखेज्जपएसिया खंधा पदेसट्टयाए बहुया। [104] इस प्रकार सर्वत्र प्रश्न करना चाहिए / दशप्रदेशी स्कन्धों से संख्यातप्रदेशी स्कन्ध प्रदेशार्थरूप से बहुत हैं / संख्यातप्रदेशी स्कन्धों से असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध्र प्रदेशार्थरूप से बहुत हैं / 105, एएसि णं भंते ! असंखेज्जपएसियाणं० पुच्छा। गोयमा ! अणंतपएसिएहितो खंहितो असंखेन्जपएसिया खंधा पदेसट्टयाए बहुया। [105 प्र. | भगवन् ! असंख्यातप्रदेशी स्कन्धों और अनन्त प्रदेशी स्कन्धों में कौन किससे बहुत हैं ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org