________________ 332] [व्याख्याप्राप्तिसूत्र [32 उ.] गौतम ! वे अोघादेश (सामान्य की अपेक्षा) से कदाचित् कृतयुग्म हैं, यावत् कदाचित् कल्योज हैं, विधानादेश (प्रत्येक की अपेक्षा) से वे न तो कृतयुग्म हैं, न योज हैं और न द्वापरयुग्म हैं, किन्तु कल्योज हैं। 33. एवं जाव सिद्धा। [33] इसी प्रकार यावत् सिद्धपर्यन्त जानना चाहिए। 34. जीवे णं भंते ! पएसट्टताए कि कड० पुच्छा / / गोयमा ! जीवपएसे पडुच्च कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावर०, नो कलियोगे; सरीरपएसे पच्च सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे।। [34 प्र.] भगवन् ! (एक) जीव प्रदेशार्थरूप से कृतयुग्म है ? इत्यादि (पूर्ववत्) प्रश्न / [34 उ.] गौतम ! जीव प्रदेशार्थ से कृतयुग्म है, व्योज, द्वापरयुग्म या कल्योज नहीं है। शरीरप्रदेशों की अपेक्षा जीव कदाचित् कृतयुग्म यावत् कदाचित् कल्योज भी होता है / 35. एवं जाव वेमाणिए। [35] इसी प्रकार यावत् वैमानिक तक जानना / 36. सिद्ध णं भंते ! पएसटुताए कि कडजुम्मे० पुच्छा। गोयमा ! कउजम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे। __ [36 प्र.] भगवन् ! सिद्ध भगवान् प्रदेशार्थरूप (आत्मप्रदेशों की अपेक्षा) से कृतयुग्म हैं ? इत्यादि पृच्छा। [36 उ.] गौतम ! वह कृतयुग्म हैं, किन्तु त्र्योज, द्वापरयुग्म या कल्योज नहीं / 37. जीवा णं भंते ! पदेसट्टताए कि कडजुम्मा० पुच्छर।। गोयमा ! जीवपएसे पडुच्च ओघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलियोगा; सरीरपएसे पडुच्च ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेणं कडजुम्मा वि जाव कलियोगा वि / [37 प्र.] भगवन् जीवप्रदेशों की अपेक्षा क्या कृतयुग्म हैं ? इत्यादि प्रश्न / [37 उ.) गौतम ! (अनेक) जीव आत्मप्रदेशों की अपेक्षा प्रोधादेश और विधानादेश से भी कृतयुग्म हैं, किन्तु श्योज, द्वापरयुग्म या कल्योज नहीं हैं। शरीरप्रदेशों की अपेक्षा जीव प्रोधादेश से कदाचित् कृतयुग्म यावत् कदाचित् कल्योज हैं। विधानादेश से वे कृतयुग्म भी हैं यावत् कल्योज भी हैं। 38. एवं नेरइया वि। [38] इसी प्रकार नरयिक भी जानना चाहिए। 36. एवं जाव वेमाणिया। [36] यावत् वैमानिक तक इसी प्रकार जानना / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org