________________ [725 अठारहवां शतक : उद्देशक 7] 50. अस्थि णं भंते ! ते देवा जे अणते कम्मसे जहन्नेणं एक्केणं वा दोहि वा तीहि वा, उक्कोसेणं पंचहि वाससयसहस्सेहिं खवयंति ? [50 प्र.] भगवन् ! क्या ऐसे देव भी हैं, जो अनन्त कर्माशों को जघन्य एक लाख, दो लाख, या तीन लाख वर्षों में और उत्कृष्ट पांच लाख वर्षों में क्षय कर देते हैं ? [50 उ.] हाँ, गौतम ! (ऐसे देव भी) हैं। 51. कयरे णं भंते ! ते देवा जे अणते कम्मसे जहन्नेणं एक्केणं वा जाव पंचहि वाससतेहि खवयंति ? कयरे णं भंते ! ते देवा जाय पंचहि वाससहस्सेहि खवयंति ? कयरे णं भंते ! ते देवा जाव पंचहि वाससतसहस्से हि खवयंति ? गोयमा ! वाणमंतरा देवा अणते कम्मंसे एगेणं वाससएणं खवयंति, असुरिंदयज्जिया भवणवासी देवा प्रणते कम्मसे दोहि वाससएहि खवयंति, असुरकुमारा(?रिदा) देवा अणते कम्मसे तोहि वाससएहि खवयंति, गह-नक्खत्त-तारारूवा जोतिसिया देवा अणते कम्मंसे चतुवास जाव खवयंति, चंदिम-सूरिया जोतिसिदा जोतिसरायाणो अणते कम्मंसे पंचहि वाससहि खवयंति / सोहम्मीसाणगा देवा अणते कम्मसे एगेणं वाससहस्सेणं जाव खवयंति, सणंकुमार-माहिदगा देवा अणते कम्मसे दोहि वाससहस्से हि खवयंति, एवं एएणं अभिलावेणं बंभलोग-लंतगा देवा अणते कम्मसे तोहिं वाससहस्सेहि खवयंति, महासुक्क-सहस्सारगा देवा अणते० चउहि वाससह 0, आणय-पाणय-आरण-अच्चुयगा देवा प्रणंते० पंचहि वाससहस्से हि खवयंति / हेडिमगेबेज्जगा देवा अणते कम्मसे एगेणं बाससयसहस्सेणं खवयंति, मज्झिमगेवेज्जगा देवा अणते. दोहि वाससयसहस्सेहि खवयंति, उवरिमोवेज्जगा देवा अणते कम्मंसे तिहि वाससयसह० जाच खवयंति, विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजियगा देवा अणते. चहि वास० जाव खवयंति, सम्वसिद्धगा देवा अणते कम्मसे पंचहि वाससयसहस्सेहि खवयंति / एए णं गोयमा! ते देवा जे अणंते कम्मसे जहन्नेणं एक्केण वा दोहि तीहि वा उक्कोसेणं पंचहि वाससएहि खवयंति / एए णं गोयमा ! ते देवा जाव पंचहि वाससहस्सेहि खवयंति / एएणं गोयमा ! ते देवा जाच पंचहिं वाससयसहस्सेहिं खवयंति / सेवं भंते ! सेवं भंते ! तिः / अद्वारसमे सए : सप्तमो उद्देसओ समत्तो // 18-7 // [51 प्र.] हे भगवन् ! ऐसे कौन-से देव हैं, जो अनन्त कर्माशों को जघन्य एक सौ वर्ष, यावत-पांच सौ वर्षों में क्षय करते हैं ? भगवन ! ऐसे कौन-से देव हैं, जो यावत् पांच हजार वर्षों में अनन्त कर्माशों का क्षय कर देते हैं ? और हे भगवन् ! ऐसे कौन-से देव हैं, जो अनन्त कर्माशों को यावत् पांच लाख वर्षों में क्षय कर देते हैं.? [51 उ.] गौतम ! वे वाणव्यन्तर देव हैं, जो अनन्त कर्भाशों को एक-सौ वर्षों में क्षय कर देते हैं। असरेन्द्र को छोड़ कर शेष सब भवनपति देव अनन्त कर्माशों को दो सौ वर्षों में, तथा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org