________________ 24] [ग्याल्याप्रज्ञप्तिसूत्र अनेक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है, या (4) सर्व उष्ण, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है। यहाँ भी पूर्ववत् तीन भंग (4-5-6) होते हैं। अथवा कदाचित् सर्व स्निग्ध, एक देश शीत और एक देश उष्ण, यहाँ भी पूर्ववत् तीन भंग कहने चाहिए। अथवा सर्वरूक्ष, एक देश शीत और एक देश उष्ण, इसके भी पूर्ववत् तीन भंग होते हैं। कुल मिला कर त्रिकसंयोगी त्रिस्पर्शी के (3+3+3+3= 12) बारह भंग होते हैं / यदि त्रिप्रदेशीस्कन्ध चार स्पर्श वाला होता है, तो (1) एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है। अथवा (2) एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और अनेक देश रूक्ष होते हैं / अथवा (3) एक देश शीत, एक देश उष्ण, अनेक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है। अथवा (4) एक देश शीत, अनेक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है। या (5) एक देश शीत, अनेक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और अनेक देश रूक्ष होते हैं / अथवा (6) एक देश शीत अनेक देश उष्ण, अनेक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है। या (7) अनेक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष / (4) अथवा अनेक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और अनेक देश रू न। (8) अथवा अनेक देश शीत, एक देश उष्ण, अनेक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है। इस प्रकार त्रिप्रदेशिक स्कन्ध में स्पर्श के कुल (4+12+1=25) पच्चीस भंग होते हैं / विवेचन-त्रिप्रदेशी स्कन्ध में वर्णादि के एक सौ बीस भंग-त्रिप्रदेशी स्कन्ध में तीन परमाणु (प्रदेश) होते हैं, तथापि तथाविध परिणाम के कारण वे तीनों एक-प्रदेशावगाही, द्विप्रदेशावगाही और त्रिप्रदेशावगाही होते हैं। जब वे एकप्रदेशावगाही होते हैं, तब उनमें अंश की कल्पना नहीं हो सकती। जब वे द्विप्रदेशावगाही होते हैं, तब उनमें दो अंशों की और जब त्रिप्रदेशावगाही होते हैं, तब तीन अंशों की कल्पना हो सकती है। जब तीनों ही प्रदेश काला आदि एक वर्ण-रूप परिणाम वाले होते हैं, तब उनके पांच विकल्प होते हैं। जब दो वर्ण रूप परिणाम होता है, तब एक प्रदेश काला और दो प्रदेश एक प्राकाशप्रदेशावगाही होने से एक अंश नीला होता है, इस प्रकार द्विक-संयोगी प्रथम भंग होता है / अथवा एक प्रदेश काला होता है और दो प्रदेश भिन्न-भिन्न दो आकाश प्रदेशावगाही होने से दो अंश नीले हों, ऐसी विवक्षा हो सकती है। इस प्रकार दूसरा भंग हुमा / इसी प्रकार दो अंश काले हों, और एक अंश नीला हो, इस प्रकार एक द्विकसंयोगी के तीन-तीन भंग होने के कारण दस द्विकसंयोग के तीस भंग होते हैं। गन्ध के एक गन्ध-परिणाम हो, तब दो भंग होते हैं / जब दो गन्ध-परिणाम वाला होता है, तब एक अंश और अनेक अंश की कल्पना से पूर्ववत् तीन भंग होते हैं। वर्ण के समान ही रस-सम्बन्धी द्विकसंयोगी 30 भंग, त्रिसंयोगी 10 भंग और असंयोगी 5 भंग, यों कुल मिलाकर 45 भंग होते हैं / जब त्रिप्रदेशी स्कन्ध के दो स्पर्श होते हैं, तब द्विप्रदेशी के समान चार भंग होते हैं / जब तीन स्पर्श होते हैं तब तीनों प्रदेश शीत होने से सर्वशीत, एक-प्रदेशात्मक एक देश स्निग्ध और द्विप्रदेशात्मक एक देश रूक्ष होता है / यह प्रथम भंग है। इसी प्रकार सर्वशीत, एक देश स्निग्ध और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org