________________ 28] ( তাসসির एक देश रूक्ष होता है, (2) अथवा सर्वशीत, एक देश स्निग्ध और अनेक देश रूक्ष होते हैं, (3) अथवा सर्वशीत, अनेक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है, अथवा (4) सर्वशीत, अनेक देश स्निग्ध और अनेक देश रूक्ष होते हैं / (इस प्रकार ये सर्वशीत के 4 भंग हुए / ) इसी प्रकार सर्व उष्ण, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष इत्यादि चार भंग होते हैं / तथा सर्व स्निग्ध, एक देश शीत और एक देश उष्ण, इत्यादि के चार भंग होते हैं, अथवा सर्वरूक्ष, एक देश शीत और एक देश उष्ण, इत्यादि के भी चार भंग होते हैं। कुल मिला कर तीन स्पर्श के त्रिसंयोगी 16 भंग होते हैं। यदि वह चार स्पर्श वाला हो तो (1) उसका एकदेश शीत, एकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है। (2) अथवा एकदेश शीत, एकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और अनेकदेश रूक्ष होते हैं। (3) अथवा एकदेश शीत, अनेकदेश उष्ण, अनेकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है। अथवा (4) एकदेश शीत, एकदेश उष्ण, अनेकदेश स्निग्ध और अनेकदेश रूक्ष होता है। (5) अथवा एकदेश शीत, अनेकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है। अथवा (6) एकदेश शीत, अनेकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और अनेकदेश रूक्ष होते हैं। अथवा (7) एकदेश शीत, अनेक देश उष्ण, अनेकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है। अथवा (8) एकदेश शीत, अनेकदेश उष्ण, अनेकदेश स्निग्ध और अनेकदेश रूक्ष होते हैं। अथवा (8) अनेकदेश शीत, एकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है। इस प्रकार चार स्पर्श के सोलह भंग, यावत्-अनेकदेश शीत, अनेकदेश उष्ण, अनेकदेश स्निग्ध और अनेकदेश रूक्ष होते हैं, (यहाँ तक कहने चाहिए)। इस प्रकार द्विक-संयोगी 4, त्रिकसंयोगी 16 और चतु:संयोगी 16, ये सब मिल कर स्पर्श सम्बन्धी 36 भंग होते हैं। विवेचन-चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के वर्णादि-सम्बन्धी दो सौ बाईस भंग-प्रस्तुत सूत्र में चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के विषय में वर्ण के 60, गन्ध के 6, रस के 90 और स्पर्श के 36, ये सब मिलकर 222 भंग होते हैं। चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के रससम्बन्धी 60 भंग-रस के द्विकसंयोगी और त्रिकसंयोगी दस-दस भंग होते हैं और एक-एक संयोग में एकवचन और अनेक वचन द्वारा चतुर्भगी होने से 10x2 =20 को चार गुना (2044) करने से इसके कुल 80 भंग होते हैं। चतु:संयोगी भंग के अंक क्रम से 5 भंग निम्नोक्त रेखाचित्र के अनुसार जानना१ तीखा, 2 कडुया, 3 कसैला, 4 खट्टा, 5 मीठा इस प्रकार चतुःसंयोगी 5 भंग और असंयोगी 5 भाग मिलाने से रस के कुल 10+10x4 = 80+5+5= 60 भंग होते हैं। चार स्पर्श के 16 भंग-चतुष्प्रदेशी स्कन्ध में चार स्पर्श वाले 16 भंग होते हैं। उनमें से है भंग तो मूलपाठ में कहे गए हैं। शेष 7 भंग इस प्रकार हैं-(१०) अनेकदेश शीत, एकदेश, उष्ण, एक देश स्निग्ध और अनेकदेश रूक्ष / (11) अनेकदेश शीत, एकदेश उष्ण, अनेकदेश स्तिग्ध और एकदेश रूक्ष / (12) अथवा अनेकदेश शीत, एकदेश उष्ण, अनेकदेश स्निग्ध और अनेकदेश रूक्ष / (13) अथवा अनेकदेश शीत, अनेकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध, एकदेश रूक्ष / (14) अथवा अनेकदेश शीत, अनेकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और अनेकदेश रूक्ष, (15) अथवा अनेकदेश शीत, | ا ل ا لله أني | Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org