________________ पंचविध संयतों में शरीर भेद-प्ररूपणा 456, ग्यारहवां क्षेत्रद्वार: पंचविध संयतों में कर्म-अकर्मभूमि की प्ररूपणां 456, बारहवाँ कालद्वार : पंचविध संयतों में अवसर्पिणी कालादि की प्ररूपणा 457, तेरहवाँ गतिद्वार : पंचविध संयतों में गतिप्ररूपणादि 458, चौदहवाँ संयतद्वार : पंचविध संयतों में अल्पबहत्ब सहित संयम-स्थान प्ररूपण 460, पन्द्रहवां निकर्ष (चारित्रपर्यव) द्वार : चारित्रपर्यव-प्ररूपणा 462, पंचविध संयतों में स्वस्थान-परस्थानबारित्रपर्यवों की अपेक्षा हीन-तुल्य-अधिक प्ररूपणा 462, सोलहवां योगद्वार : पंचविध संयतों में योग-प्ररूपणा 465' सत्तरहवौं उपयोगद्वार : पंचविध संयतों में उपयोग-निरूपण 465, अठारहवाँ कषायद्वार : पंचविध संयतों में कषाय-प्ररूपणा 465, उन्नीसवाँ लेश्याद्वार : पंचविध संयतों में लेश्या-प्ररूपणा 466, बीसवाँ परिणामद्वार : वर्द्ध मानादि-परिणाम-प्ररूपणा 467, इक्कीसवाँ बन्धद्वार : कर्म-प्रकृति-बंध-प्ररूपणा 469, वाईसवाँ वेदनद्वार : कर्म-प्रकृति वेदन की प्ररूपणा 470, तेईसवाँ कर्मोदी रणद्वार : कर्मों की उदीरणा की प्ररूपणा 470, चौवीसवाँ हान-उपसम्पद्वार : पंचविध संयतों के स्वस्थान-त्याग-परस्थान-प्राप्ति प्ररूपणा 471, पच्चीसवाँ संज्ञाद्वार : पंचविध संयतों में संज्ञा की प्ररूपणा 473, छब्बीसवाँ आहारद्वार : पंचविध संयतों में आहारक-अनाहारक-प्ररूपणा 474, सत्ताईसवाँ भवद्वार 474, अट्ठाईसा आकर्षद्वार : पंचविध संयतों के एक भव एवं नाना भवों की अपेक्षा माकर्ष की प्ररूपणा 475, उनतीसवाँ काल-(स्थिति)-द्वार : एकवचन और बहुवचन में स्थिति-प्ररूपणा 477, तीसवाँ अन्तरद्वार : पंचविध संयतों में काल का अन्तर 479, इकतीसवाँ समूदधातद्वार : पंचविध संयतों में समुद्घात की प्ररूपणा 481, बत्तीसवाँ क्षेत्रद्वार : पंचविध संयतों के अवगाहन क्षेत्र की प्ररूपणा 481, तेतीसवाँ स्पर्शनाद्वार : पंचविध संयतों की क्षेत्र-स्पर्शना प्ररूपणा 482, चौतीसवाँ भावद्वार : पंचविध संयतों में औपशमिकादि भावों की प्ररूपणा 482, पैतीसवाँ परिमाणद्वार : पंचविध संयतों के एक समयवर्ती परिमाण की प्ररूपणा 482, छत्तीसवा अल्पबहुत्वद्वार : पंचविध संयतों का अल्पबहुत्व 484, प्रतिसेवना-दोषालोचनादि छहद्वार 484, प्रथम प्रतिसेवनाद्वार : प्रतिसेवना के दस भेद 485, द्वितीय पालोचनाद्वार : पालोचना के दस दोष 485, तृतीय मालोचनाद्वार:पालोचना करने तथा सुनने योग्य साधकों के गुण 486, चतुर्थ समाचारीद्वार : समाचारी के दस भेद 488, पंचम प्रायश्चित्तद्वार : प्रायश्चित्त के दस भेद 489, छठा तपोद्वार : तप के भेद-प्रभेद 491, अनशन तप के भेद-प्रभेद 491. प्रवमौदर्य तप के भेद-भेदों की प्ररूपणा 493. भिक्षाचर्या. रसपरित्याग ए कायक्लेश तप की प्ररूपणा 495, प्रतिसंलीनता तप के भेद एवं स्वरूप का निरूपण 496, षविध माभ्यन्तर तप के नाम निर्देश 499, प्रायश्चित्त तप के दस भेद 499, विनय तप के भेद-प्रभेदों का निरूपण 500, वैयावृत्य और स्वाध्याय तप का निरूपण 505, ध्यान : प्रकार और भेद-प्रभेद 506, व्यूत्सर्ग के भेद-प्रभेदों का निरूपण अष्टम उद्देशक चौवीस दण्डकवर्ती जीवों की उत्पत्ति का विविध पहलुप्रों से निरूपण नौवों उद्देशक चौवीस दण्डकगत भन्यजीवों की उत्पत्ति का प्रतिदेशपूर्वक निरूपण दसवां उद्देशक चौवीस दण्डकगत अभव्य जीवों की उत्पत्ति का प्रतिदेशपूर्वक निरूपण प्यारहवां उद्देशक चौवीस दण्डकगत सम्यग्दष्टि जीवों की उत्पत्ति का अतिदेशपूर्वक निरूपण 520 521 [116 ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org