________________ बीसवां शतक : उद्देशक 5] [21 कालए य लोहियए य 2, सिय कालए य हालिद्दए य 3, सिय कालए य सुक्किलए य 4, सिय नीलए य लोहिए य 5, सिय नोलए य हालिद्दए य 6, सिय नीलए य सुविकलए य 7, सिय लोहियए य हालिदए य 8, सिय लोहियए य सुक्किलए य 6, सिय हालिद्दए य, सुश्किलए य १०--एवं एए दुयासंजोगे दस भंगा। जति एगगंधे-सिय सुम्भिगंधे 1, सिय दुम्भिगंधे 2 / जति दुगंधे-सुन्भिगंधे य दुखिभगंधे य / रसेसु जहा वण्णेसु। जति दुफासे-सिय सीए य निद्धे य-एवं जहेव परमाणुपोग्गले 4 / जति तिफासे-सव्वे सीए, देसे निद्धे, देसे लुक्खे 1; सब्वे उसिणे, देसे निद्ध, देसे लुक्खे 2; सम्वे निद्ध, देसे सीए, देसे उसिणे 3; सव्वे लुक्खे, देसे सीए, देसे उसिणे 4 / जति चउकासे-देसे सीए, देसे उसिणे, असे निदे, से लुक्खे 1 / 4+4+1= / एते नव भंगा फासेसु / [२प्र.] भगवन् ! द्विप्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण, (गन्ध, रस और स्पर्ण) आदि वाला होता है? [2 उ.] गौतम ! अठारहवें शतक के छठे उद्देशक (सू. 7) में कथित वर्णन के अनुसार यहाँ भी, यावत् कदाचित् चार स्पर्श वाला तक कहना चाहिए। यदि वह एक वर्ण वाला होता है तो (1-5) कदाचित् काला यावत् श्वेत होता है / यदि वह दो वर्ण वाला होता है तो (6) कदाचित् काला और नीला, (7) कदाचित् काला और लाल, (8) कदाचित् काला और पीला, (9) कदाचित् काला और श्वेत, (10) कदाचित् नीला और लाल, (11) कदाचित् नीला और पीला, (12) कदाचित् नीला और श्वेत, (13) कदाचित् लाल और पीला, (14) कदाचित् लाल और श्वेत और (15) कदाचित् पीला और श्वेत होता है / (इस प्रकार द्विकसंयोगी दस भंग होते हैं / ) यदि वह एक गन्ध वाला होता है तो (16) कदाचित् सुरभिगन्ध, (17) कदाचित् दुरभिगन्ध वाला होता है / यदि दो गन्ध वाला है तो (18) दोनों सुरभिगन्ध मौर दुरभिगन्ध वाला होता है / (19 से 33) जिस प्रकार वर्ण के भंग कहे हैं, उसी प्रकार रस-सम्बन्धी पन्द्रह (असंयोगी 5, द्विकसंयोगी 10) भंग होते हैं। यदि दो स्पर्श वाला होता है तो (34-37) शीत और स्निग्ध इत्यादि चार भंग परमाणुपुद्गल के समान जानना चाहिए। यदि वह तीन स्पर्श वाला होता है तो (38) सर्व शीत होता है, उसका एक देश (यांशिक) स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है, (36) सर्व उष्ण होता है, उसका एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है, (40) (अथवा) सर्व स्निग्ध होता है, उसका एक देश शीत और एक देश उष्ण होता है, (41) अथवा सर्व रूक्ष होता है, उसका एक देश शीत और एक देश उष्ण होता है, (42) यदि वह चार स्पर्श वाला होता है तो उसका एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है / इस प्रकार स्पर्श के (4+4+1=9) नौ भंग होते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org