Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 38] [ प्रज्ञापनासूत्र पृथ्वो समस्त प्राणियों की आधारभूत होने से सर्वप्रथम पृथ्वीकायिकों का ग्रहण किया गया। अप्कायिक पृथ्वी के आश्रित हैं, इसलिए तदनन्तर अप्कायिकों का ग्रहण किया गया। तत्पश्चात् उनके प्रतिपक्षी अग्निकायिकों का, अग्नि वायु के सम्पर्क से बढ़ती है, इसलिए उसके बाद वायुकायिकों का और वायु दूरस्थ लतादि के कम्पन से उपलक्षित होता है, इसलिए तत्पश्चात् वनस्पतिकायिकों का ग्रहण किया गया।' पृथ्वीकायिक जीवों की प्रज्ञापना 20. से कि तं पुढविकाइया ? पुढविकाइया दुविहा पण्णता / तं जहा-सुहुमपुढविकाइया य बादरपुढविकाइया य / [20 प्र.] वे पृथ्वीकायिक जीव कौन-से हैं ? [20 उ.] पृथ्वीकायिक (मुख्यतया) दो प्रकार के कहे गए हैं—सूक्ष्म पृथ्वीकायिक और बादर पृथ्वीकायिक। 21. से कि तं सुहमपुढविकाइया ? सुहुमपुढविकाइया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा-पज्जत्तसुहमपुढविकाइया य अपज्जत्तसुहमपुढविकाइया य / से त्तं सुहुमपुढविकाइया। [21 प्र.] सूक्ष्मपृथ्वीकायिक क्या हैं ? [22 उ.] सूक्ष्मपृथ्वीकायिक दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार—पर्याप्त सूक्ष्मपृथ्वीकायिक और अपर्याप्त सूक्ष्मपृथ्वीकायिक / यह सूक्ष्मपृथ्वोकायिक का वर्णन हुआ। 22. से किं तं बादरपुढविकाइया ? बादरपुढबिकाइया दुविहा पन्नता। तं जहा-सहबादरपुढविकाइया य खरबादरपुढविकाइया य। [22 प्र.] बादरपृथ्वीकायिक क्या हैं ? [22 उ.] बादरपृथ्वीकायिक दो प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार–श्लक्ष्ण (चिकने) बादरपृथ्वीकायिक और खरबादरपृथ्वीकायिक / 23. से किं तं सहबादरपुढविकाइया ? सहबाबरपुढविकाइया सत्तविहा पन्नत्ता। तं जहा--किण्हमत्तिया 1 नीलमत्तिया 2 लोहियमत्तिया 3 हालिहमत्तिया 4 सुकिल्लमत्तिया 5 पंडुमत्तिया 6 पणगत्तिया 7 / से तं सहबादरपुढविकाइया। _ [21 प्र.] श्लक्ष्ण बादरपृथ्वीकायिक क्या हैं ? - [23 उ.] श्लक्ष्ण बादरपृथ्वोकायिक सात प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार-(१) कृष्ण 1. प्रज्ञापना. मलय. वृत्ति, पत्रांक 24 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org