Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रज्ञापनासूत्रे प्रचला ३ प्रचला प्रचला ४ स्त्यानद्धिः ५ चक्षुर्दर्शनावरणम् ६ अचक्षुर्दर्शनावरणम् ७ अवधिदर्शनावरणम् ८ केवलदर्शनावरणम ९, यद वेदयते पुद्गलं वा पुद्गलान् वा पुद्गलपरिणामं वा विस्त्रसया वा षुद्गलानां परिणामम् , तेषां वा उदयेन द्रष्टव्यं वा न पश्यति द्रष्टुकामोऽपि न पश्यति दृष्ट्वाऽपि न पश्यति. उच्छन्नदर्शनीचापिभवति, दर्शनावरणीयस्य कर्मण उदयेन, एतत् खलु गौतम! दर्शनावरणीयं कर्म, एष खलु गौतम ! दर्शनावरणीयस्य कर्मणो जीवेन बद्धस्य यावत् पुद्गलपरिणामं प्राप्य नवविधोऽनुभावः प्रज्ञप्तः।।सू.५।।
(तं जहा) वह इस प्रकार (णिदा) निद्रा (णिद्दा णिद्दा) निद्रा निद्रा (पयला) प्रचला (पयला पयला) प्रचला प्रचला (थीणद्धी) स्त्यानदि (चक्खुदंसणावरणे) चक्षुदर्श नावरण (अचक्खु दंसणावरणे) अचक्षुदर्शनावरण (ओहि सणावरणे) अवधि दर्शनावरण (केवल दसणावरणे) केवल दर्शनावरण (जं) जो (वेदेइ) वेदता है (पोग्गलं वा) पुद्गल को (पोग्गले वा) या पुद्गलो को (पोग्गलपरिणामं वा) या पुद्गल परिणाम को (वीससा वा) या स्वभाव से (पोग्गलाणं परिणामं) पुद्गलों के परिणाम को (तेसिं वा उदएणं) या उनके उदय से (पासियव्वं वा ण पासइ) देखने योग्य को नहीं देखता है (पासि उ कामे विण पासइ) देखने के इच्छुक होकर भी नहीं देखते (पासित्ता वि ण पासइ) देखकर भी नहीं देखता (उच्छण्ण दसणी यावि भवइ) तिरोहित दर्शनवाला होता है (दरिसणावरणिज्जस्स कम्मस्स उदएणं) दर्शनावरणीय कर्म के उदयसे ।
(एस णं गोयमा दरिसणावरणे कम्मे) हे गौतम! यह दर्शनावरण कर्म हैं (एसणं गोयमा दरिसणावरणिज्जस्स कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स) हे गौतम ! जीव के द्वारा बद्ध दर्शनावरणीय कर्म का (जाव पोग्गल परिणाम पप्प) यावत् पुद्गल परिणाम को प्राप्त करके (णवविहे अणुभावे पण्णत्ते) नौ प्रकार का अनुभाव कहा है। अनुभागे पण्णते) नव प्रा२न! अनुभाव या छ (तजहा) ते मा पारे (णिद्दा) निद्रा (णिद्दा णिद्दा) निद्रा निद्रा (पयला) प्रन्या (पयला पयला) प्रयल प्रयदा (थीणद्धी) त्यानाध्य (चक्खुदसणावरणे ) यक्षुशनावर ( अचक्खुदसणावरणे ) मा ४शना५२९५ ( ओहिदसणा वरणे) अवधि शनाय२९५ ( केवलदसणावरणे ) पर शनाव२५ (ज) (वेदेइ) हे छ (पागलं वा) पुगसने (पोग्गले वा) मगर हासाने (पोग्गलपरिणामवा) मगर पुहराला परिणामने (वीससावा) या २५भापया (पोग्गलाणं परिणाम) सोना परिणामने (तेसिवा उदएण) मगर तमना यथा (पासियवंवा न पासइ) मा योग्यने नथी हेमता (पासिउकामें वि ण पासइ ) नेपाना छुडावा छतां नया पता (पासित्ता वि न पासइ) नेया छतां पण नथा मता (उच्छण्णदसणी यावि भवइ), तिति शिन वाण मने छ (दरिसणावरणिज्जस्स कम्मस्स उदएण), शनावरणीय भना यथी. ( एस ण गोयमा ! दरिसणावरणे कम्मे ) है गौतम! साशना१२९१ मछे (एस ण गोयमा ! दरिसणावरणिज्जस्स कम्मस्स जीवेण बद्धस्स) हे गौतम! ७पना द्वा२१ प शनाय२०ीय भना (जाव पोग्गलपरिणाम पम्प) यापत् पुस परिणामने प्राप्त उरीन (णवविहे अणुभाने पण्णत्ते) ५ ४२ना मनुमा५ असा छे.
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫