Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रज्ञापनासूत्रे नाकारोपयोगः, अचक्षुर्दर्शनानाकारोपयोगः, अवधिदर्शनानाकारोपयोगः, एवं यावत्-स्तनितकुमाराणाम , पृथिवीकायिकानां पृच्छा, गौतम ! द्विविध उपयोगः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-साकारोपयोगः, अनाकारोपयोगः, पृथिवीकायिकानां साकारोपयोगः कतिविधः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! (तं जहा-मइणाणसागारोपओगे, सुयणाणसागारोचओगे, ओहिणाणसागारोवओगे, (मइअण्णाणसागारोवओगे, सयअण्णाणसागारोयओगे) विभंग णाणसागारोवओगे) वह इस प्रकार-मतिज्ञानसाकारोपयोग, श्रुतज्ञानसाकारोपयोग, अवधिज्ञान साकारोपयोग, मत्यज्ञानसाकारोपयोग, श्रुताज्ञान साकारोपयोग, विभंगज्ञानसाकारोपयोग (नेरइयाणं भंते ! अणागारोवओगे कइविहे पण्णत्ते) हे भगवन् ! नारकों का अनाकारोपयोग कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! तीन प्रकार का कहा है (तं जहा-चक्खुदंसणअणागारोच भोगे, अचक्खुदंसण अणागारोव भोगे, ओहिदंसर्ण अणागारोवओगे) वह इस प्रकार-चक्षुदर्शन-अनाकारोपयोग, अचक्षु. दर्शन-अनाकारोपयोग अवधिदर्शन-मनाकारोपयोग (एवं जाव थणियकुमाराणं) इस प्रकार यावत् स्तनितकुमारों तक (पुढविकाइयाणं पुच्छा) पृथ्वीकायिकों संबंधी प्रश्न ? (गोयमा ! दुविहे उघओगे पण्णत्ते) हे गौतम ! दो प्रकार का उपयोग कहा है (तं जहा-सागारोवओगे, अणगारोवओगे) वह इस प्रकारसाकारोपयोग और अनाकारोपयोग (पुढचिकाइयाणं सागारोवओगे कतिविहे पण्णत्ते) पृथ्वीकायिकों का साकारोपयोग कितने प्रकार का कहा है (गोयमा ! gan छे (तं जहा मइणाण सागारोवओगे, सुयनाणसागारोवओगे ओहिणाणसागारोवओगे, मइ भण्णाणसागारोवओगे, सुयअण्णाणसांगारोवओगे, विभंगनाणसोगारोबओगे) તે આ પ્રકારે મતિજ્ઞાન સાકારે પગ, શ્રુતજ્ઞાન સાકારે પગ, અવધિજ્ઞાન સાકરેપગ, અત્યજ્ઞાન સાકારે પગ કૃતાજ્ઞાન સાકારપગ, વિર્ભાગજ્ઞાન સાક પગ.
(नेरइयाणं भंते ! अणागारोवओगे कइविहे पण्णत्ते) हे भगवन् ! नाना मना२। पयोग हेट! ॥२॥ gan छे ? (गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते) हे गोतम ! ३ मारना ४हा छ (तं जहा चक्खुदंसणअणागारोवओगे, अचक्खुदसणअणागोरोवओगे, ओहिदसण अणागारोपओग) ते मा प्रारे-यक्षुशन अनारोपयोग, सयक्षुशन नारोपयोग, अधिशन मना४२५योग (एवं जाव थणियकुमाराणं) से प्रारे यायत स्तनितमा सुधी.
(पुढयिक इयाणं पुच्छा) पृथवीय समधी प्रश्न ? (गोयमा ! दुविहे उपओगे पण्णत्ते) गीतम! मे ना ५१ ४ा छ (तं जहा-सागारोवओगे अणागारोवओगे) ते मा ४ - सापयोग अने मना५ये (पुढविकाइयाणं सागारोवओगे कइविहे पण्णते?) पृथिवी विना सारोपयो प्रा२न छ ? (गोयमा ! दुविहे
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫