Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयबोधिनी टीका पद ३६ ६० ६ मारणास्तव समदातादिविशेषनिकरणम ९७५ चतुर्विंशति श्चतुर्विंशका दण्डका भणितध्याः, तेजस मुद्घातो यथा मारणान्तिनसमुदाता, नवरं यस्यास्ति, एकमेतेऽपि चतुविशतिश्चतुविका दाडका भणितध्याः, एकस्य रूल्लु भदन्त ! नैरयिकस्य नैरयिकत्वे कियन्त आहारसमुद्घाता अतीताः ? गौतम ! न सन्ति,
मारणान्तिक समुद्रात आदि शब्दार्थ-(मारणांतियसमुग्घाओ सट्टाणे वि परहाणे वि एगुत्तरियाए नेयधो) मारणांतिकसमुदघात स्वस्थान में भी और परस्थान में भी एकोतरिका से जानना चाहिए (जाय वेमाणि यस्स वेमाणियत्ते) यावत् वैमानिक का वैमानिकपने (एवमेते चउवीसं चउबीसादंडगा भणियन्या) इस प्रकार ये चौबीसों दंडक चौवीस दंडकों में कहना चाहिए। ___ (वेउब्धियसमुग्घाओ जहा कसायसमुग्धाओ तहा निरवसे सो भाणियब्यो) वैक्रियसमुदघात कषायसमुदघात के समान पूरा कह लेना चाहिए (नवरं जस्स नस्थि तस्स न वुच्चइ) विशेषता इतनी कि जिसके नहीं होता, उसका नहीं कहा जाता। (एस्थ वि) यहाँ भी (चउधीसं चउवीसा दंडगा माणियब्या) चौवीसों दंडक चौवीसों दंडकों में कहना चाहिए।
(तेयगसमुग्घाए जहा मारणंतियसमुग्घाए) तैजससमुदघात मारणान्तिक समुदघातके समान (णवरं जस्स अस्थि) विशेष यह कि जिस के वह होता है (एवं एए वि च उन्धीसं चउवीसा दंडगा भाणियच्या) इस प्रकार ये भी चौबीसो
મારનિકસમુદ્યાત આદિ शाय-मारणांतियसमुग्धाओ सटाणे वि एगुत्तरियाए नेययो) भारान्तिसमुद्धात, સ્વસ્થાનમાં પણ અને પરસ્થાનમાં પણ એકેરીકાથી જાણવા જોઈએ. (Tra वेमाणियस्स वेमाणियत्ते) यावत् वैमानिन वैभानिपाणे (एवमेते चउवीसं चवीसादंडगा भाणियठवा) से प्रारे २॥ यावीसे ६४ योवीस ६४मा ४ा नेय.
(वेउब्वियसमुग्घाओ जहा कसायसमुग्घाओ तहा निरव सेसो भाणियन्यो) सिमुद्धत ४पायसमुद्धातनी समान ५२॥ ४ ॥ (नवरं जस्स नत्थि तस्स न वुच्चइ) विशेषता टी २२ नथी हाता तेना नथी ४ाता (एत्थ वि) 8 ५५५ (चवीसं चवीसडंडगा भाणियव्वा) योवीसे ४ यावीसेमा ४ा नय.
(वेउव्वियसमुग्धाओ जहा कसायसमुग्घाओ तहा निरवसेसो भाणियबो) वैडिय. समुद्धात षायसमुहूधातन समान २०४९ ले (नवरं जस्स नत्थि तत्स न वुच्चइ) विशेषता मेटली मना नथी डोता, तेरे नथी ४ाता (एत्थ वि) 248 ५५ (चवीसं चउवीसा दंडगा भाणियवा) यावीसे यावीसे भा ४ .
(तेयगसमुग्धाए जहा मारणांति यसमुग्घाए) तैसि समुद्धात * ACBसमुद्घ तना समान (णवरं जस्स अत्थि) विशेष मे छे २ ते खाय छे (एवं एए वि चउव्वीसं
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫