Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रशापनास्त्रे येन वा द्वि समयेन या त्रिसमयेन या विग्रहण, इयत्कालस्य आपूर्णम् इयत्कालस्य स्पृष्टः तान खलु भदन्त ! पुद्गलान् कियत् कालस्य निक्षिपति ? गौतम ! जघन्येन अन्तर्मुहूर्तस्य उत्कृष्टेन विशेषाधिकस्यान्तर्मुहूर्तस्य, ते खलु भदन्त ! पुद्गला निक्षिप्ताः सन्तो यान् तत्र प्राणान् भूतान् जीवान् सत्यान् अभिनन्ति वर्तयन्ति लेशयन्ति संघातयन्ति संघट्टयन्ति परितापयन्ति क्लमयन्ति अपद्रावयन्ति तेभ्यः खलु भदन्त ! स जीवः कति क्रियः ? गौतम ! हुआ ? (केवइ कालस्स फुडे) कितने काल में स्पृष्ट हुआ ? (गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइ एण वा तिसमइएण वा विग्गहेण) हे गौतम ! एक समय के, दो समय के अथवा तीन समय के विग्रह से (एचइकालस्स) इतने काल में (अफुण्ण) पूरित हुआ (एचइए कालस्स फुडे) इतने काल में स्पृष्ट हुआ। __(ते णं भंते ! पोग्गले) हे भगवन् ! उन पुद्गलों) को केवइकालस्स) कितने काल में (नच्छुभइ) निकालता है (गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तस्स) हे गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त में (उक्कोसेण वि अंतोमूहुत्तस्स) उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त में ! _ (ते णं पोग्गला) वे पुद्गल (निच्छूढा समाणा) बाहर निकले हुए (जाई तत्थ पाणाई भूयाई जीवाइं सत्ताई) वहाँ जिन प्राणियों, भूतों, जीवों और सत्वों का (अभिहणंति) अभिघात करते हैं (यत्तेति) आवर्त्त पतित करते हैं चकर खिलाते हैं (लेसेंति) कुछ छते हैं (संघाएंति) संहत करते हैं (संघटेति) संघहित करते हैं (परिताति) पीडित करते हैं (किलामेंति) मूर्छित करते हैं (उद्दति) घात करते हैं (तेहितो णं भंते ! से जीवे कई किरिए) हे भगवन् ! उन से वह जीव कितनी
(से ण भंते खेत्ते केवइकालस्स अप्फुरणे) 3 मपन् ! ते क्षेत्र रेखा मा पु२॥ थाय छ ? (केवइकालस्स फुडे) डेटा भी स्पृष्ट थाय छे.
(गोयमा ! एगसमइएण या दुसमबरण या तिसमइएण वा विग्गहेग) 3 गौतम ! मे समयना, में समयाना म२५ र समयमा विथी (एवइकालस्स) सा (अप्फुण्णे) पुरित थये। (एवइयकालस्स फुडे) येटसा मा २ष्ट थयेस .
(ते णं भंते ! पोग्गले) मपन् ! त पुगसोने (वेवइयकालस्स) anाणमा (निच्छुभइ) निणे छ (गोयमा ! जहण्णेणं अंतो मुहुत्तस्स) गौतम! or4.4 अन्तभु तभा (उक्कोसेणं वि अंतो मुहुत्तास) Gट ५५५ मन्तभुत मा.
(तेण पोग्गला) ते ५६ (निच्छूढा समाणा) महा२ नान (जाई तत्थ पाणाई भूयाई जीवाइं सत्ताइ) त्यांचे प्रालियो, भूजो, यो, भने सत्याने (अभिहणंति) मलि. घात छे (वत्तेति) आपत्त पतित ३२ छ-२४२ भव छ (लेसेति) थाई म छ (संघाएंति) सेहत ४२ छे (संघट्टेति) सहित २ छ (परिता ति) पीडित ४२ छे (किला मेंति) भूछित ४२ छे (उद्दये ति) घात ४२ छे.
(तेहितो ण भंते ! से जीये कइ किरीए) 3 बयान ! तेनाय ते ७५ डेसी
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫