Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रज्ञापनासूत्रे पोग्गला सीयं पप्प सीयं चेव अतिवतित्ताणं चिति, एवमेव तेहिं देवेहिं ताहिं अच्छराहिं सद्धिं कायपरियारणं कए समाणे से इच्छामणे खिप्पामेव अवेइ” ॥ सू०३ ॥ ___ छाया -देवाः खलु भदन्त ! किं सदेवीकाः सपरिचाराः, सदेवीका अपरिचाराः, अदेवीकाः सपरिचाराः, अदेवीका अपरिचाराः ? गौतम ! अस्त्येके देवाः सदेवीकाः सपरिचाराः, अस्त्येके देवा अदेवीकाः सपरिचाराः, अस्त्येके देवा अदेवीका अपरिचाराः, नो चैत्र खलु देवाः सदेवीका अपरिचाराः, तत् केनार्थेन भदन्त ! एवमुच्यते-अस्त्येके देवाः
परिचारणा शब्दार्थ-(देवाणं भंते ! किं सदेवीया सपरियारा) हे भगवन् ! देव क्या देवियों सहित और सपरिचार-विषयभोगयुक्त होते हैं ? (सदेवीया अपरियारा) क्या देवियों सहित और अपरिचार होते हैं ? (अदेवीया सपरियारा) क्या देवोरहित और परिचारसहित होते हैं ? (अदेवीया अपरियारा ?) देवीरहित और परिचाररहित होते हैं ? (गोयमा !) हे गौतम ! (अस्थेगइया देवा सदेवीया सपरियारा) कोई देव सदेवीक और सपरिचार होते हैं (अत्थेगइया देवा अदे. वीया सपरियारा) कोई देव देवियों से रहित और परिचार से सहित होते है (अस्थेगइया देवा अदेवीया अपरियारा) कोई देव देवी रहित और परिचाररहित होते हैं (नो चेव णं देवा सदेवीया अपरियारा) देव देवीसहित किन्तु परिचार रहित नहीं होते हैं।
(से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ) हे भगवन् ! किस हेतु से ऐसा कहा जाता है (अत्थेगइया देवा सदेवीया सपरियारा तं चेव) कोई देव देवीसहित और
પરિચારણું शा--(देवाण भंते ! किं सदेवीया सपरियारा ?) 3 मापन् ! ४५ शु. ४ो। सहित मने सपरियार-विषय लागयुत डाय छ ? (सदेविया अपरियारा ?) शु वास। सहित परियार डाय छ ? (अदेवि या सपरियारा ?) शुवी 48२ अने परियार सहित हाय छ ? (अदेविशा अपरियारा ?) हेव रहित अने परियार रहित डाय छ ?
(गोयमा !) 3 गौतम ! (अत्थेगइया देवा सदेवीया सपरियारा) १ १ सहेवी मने सपरियार छोय छे (अत्थेगइया देवा अदेवीया सपरियारा) हे हेवीमाथी २हित मन परियारथी सहित साय छे. (अत्थेगइया देवा अदेवीया अपरियारा) अहेव हेवी २खित मन परियार रहित हाय छे (नो चेव णं देवा सदेवीया अपरियारा) हे हेवी सहित परंतु परियार रहित तi नथी. (से केणद्वेण भंते एवं वुच्चइ) ले सन् ! ४या तुथी कसम वाय छ १ (अत्थेगइया देवा सदेवीया सपरियारा तं चेव) हे ही सहित अने
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫