Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमैयबोधिनी टीका पद ३४ सू० १ नैरयिकादीनामनन्तरागताहारनिरूपणम्
अनन्तराहाराः, ततो निर्वर्तना, ततः पर्यादानम्, ततः परिणामनं, ततः परिचारणा, ततः पश्चाद् विकुत्रणा, असुरकुमाराः खलु भदन्त ! अनन्तराहाराः, ततो निवर्तना ततः पर्यादानं ततः परिणामनं ततो विकुर्वणा ततः पश्चात् परिचारणा ? हन्त ! गौतम ! असुरकुमारा अनन्तराहाराः, ततो निवतेना यावत् ततः पश्चात् परिचारणा, एवं यावत् स्तनितकुमाराः, पृथिवीकायिकाः खलु भदन्त ! अनन्तराहाराः, ततो निर्वर्तना ततः पर्यादानम्, ततः परि. फिर परिचारणा होती है ? (नओ पच्छा विउधणया) तत्पश्चात् विकर्षणा होती है ? (हंता गोयमा!) हां, गौतम ! (नेरइयाणं) नारक (अणंतराहारा) अनन्तर आहार वाले होते हैं (तो निव्यत्तणा) फिर निष्पत्ति (तओ परियाइणया) फिर पर्यादान (तओ परिणामया) फिर परिणामना (तो परियारणया) फिर परिचारणा (तओ पच्छा विउवणा) तत्पश्चात् विकुर्वणा होती है।
(असुरकुमारा गं भंते !) हे भगवन् ! असुरकुमार (अणंतराहारा) अनन्तर आहार वाले (तो निव्वत्तणया) फिर तिर्वर्तना-शरीरनिष्पत्ति वाले होते हैं ? (तओ परियाणया) फिर पर्यादान वाले (तओ परिणामया) फिर परिणामना वाले (मओ विउवणया) फिर विक्रिया वाले (तओ पच्छा परियारणा) फिरपरिचारणा वाले होते हैं ? (हंता गोयमा !) हाँ, गौतम ! (असुरकुमारा अणंत. राहारा) असुरकुमार अनन्तराहार होते हैं (ल भो निव्वत्तणया) फिर निर्वर्तना वाले (जाव तओ पच्छा परियारणा) यावत् उसके बाद परिचारणावाले होते हैं (एवं जाव थणि यकुमार) इसी प्रकार यावत् स्तनितकुमार (पुढविकाइया णं भंते ! अणंतराहारा) हे भगवन् ! क्य पृथिवीकायिक अनन्तराहार वाले (तो निव्व तत्पश्चात् विष्णु। थाय छ ? (हंता गोयमा !) , गौतम (नेरइयाणं) ना२६ (अगंतराहारा) मानत माहाराणा थाय छे (तओ निव्वत्तणा) पछी निपत्ति (तओ परियाइणया) पछी पाहान (तओ परिणामया) पछी पणुिभता (तओ परियारणा) पछी परियारए। (तओ पच्छा विउठवणा) तपश्चात् वि .
(असुरकुमाराणं भंते !) 3 भगवन् ! असुमार (अणंतराहारा) अनन्तर महाराणा (तओ निश्वत्तणया) पछी निना -शरीर निपत्तिवाणा डाय छे (तओ परियाइणया) पछी पर्याहानवाणा (तओ परिणामया) पछी पणुिमनतावाणा (तओ विउठवणया) पछी विठिया (तओ पच्छापरियारणया) पछी परियाणा हाय छ ?
(हंता गोयमा !) 1, गौतम ! (असुरकुमारा अणंतराहारा) असु२४भार मनन्तराहार डाय छ (तओ निबत्तणया) पछी निनावा (जाव तओ पच्छा परियारणया) यावत् तना पछी परियारणावा डाय छ (एवं जाव थणियकुमारा) मे १ प्ररे यावत् नितभा२.
(पुढविकाइयाणं भंते ! अणंतराहारा) मन् ! शुवा :14४ मनता२१॥ (तओ निव्यत्तणया) पछी नितिन (तओ परियाइणया) पछी पाना (तओ परिणामया) ५७ परिभानवा७५ (तओ परियारणया) ५७ परियाणाणा तओ
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫