Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रज्ञापनासूत्रे त्रयस्त्रिंशद् वर्षसहस्राणाम् आहारार्थः समुत्पद्यते, शेषं यथा असुरकुमाराणां यावद् एतेषां भूयो भूयः परिणमन्ते, सौधर्मे आभोगनिर्वतितो जघन्येन दिवसपृथक्त्वस्य, उत्कृष्टेन द्वयो वर्षसहस्रयोराहार्थः समुत्पद्यते, ईशाने खलु पृच्छा, गौनम ! जघन्येन दिवसपृथक्त्वस्य सातिरेकस्य, उत्कृष्टेन सातिरेकं द्वयोवर्षसहस्रयोः, सनत्कुमाराणां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन द्वयोर्वर्षसहस्रयोः, उत्कृष्टेन सप्तानां वर्षसहस्राणाम्, माहेन्द्रे पृच्छा, गौतम ! जघन्येन द्वयो निवत्तिए जहण्णेणं दिवसपुहुत्तस्स) आभोगनिर्वतित आहार जघन्य दिवस पृथक्त्व में (उक्कोसेणं तेत्तीसाए यास सहस्साणं आहारट्टे समुप्पज्जइ) उत्कृष्ट तेतीस हजार वर्ष में आहार की अभिलाषा उत्पन्न होतो है (सेसं जहा असुरकुमाराणं) शेष कथन असुरकुमारों की तरह (जाव एएसि भुज्जो भुन्जो परिणमंति) यावत् इनके लिए बार-बार परिणत होते हैं।
(सोहम्मे आभोगनिव्यत्तिए जहण्णेणं दिवसपुहुत्तस्स) सौधर्मकल्प में आभोगनिर्वतित आहार जघन्य दिवसपृथक्त्व में (उक्कोसेणं दोण्हं वाससह स्साणं) उत्कृष्ट दो हजार वर्ष में (आहारट्टे समुपज्जइ) आहार की अभिलाषा उत्पन्न होती है (ईसाणे णं पुच्छा) ईशान कल्प संबंधी प्रश्न ? (गोयमा ! जहण्णेणं दिवसपुहुत्तस्स साइरेगस्स) हे गौतम ! जघन्य कुछ अधिक दिवस पृथ. क्त्व मे (उकोसेणं साइरेगं दोण्हं वाससहस्साणं) उस्कृष्ट कुछ अधिक दो हजार वर्ष में (सणंकुमाराणं पुच्छा ?) सनत्कुमार संबंधी प्रश्न ? (गोयमा ! जहण्णेणं दोण्हं वाससहस्साणं) हे गौतम ! जघन्य दो हजार वर्ष में (उकोसेणं सत्तण्हं वाससहस्साणं) उत्कृष्ट सात हजार वर्ष में (मोहिदे पुच्छा) माहेन्द्र
(एवं वेमाणिया वि) मे प्रारं वैमानि: ५५] (नवर) विशष (अभोगनिवत्तिए जहणणं दिवसपहत्तस्स) मालेगनिवतित १२ धन्य ६५५ पृथत्यमा (उक्कोसेणं तेत्तीसाए वाससहस्सणं आहारटे समुपज्जइ) Gre तेत्री५२ वर्षमा २नी अमिताप 34-1 थाय छ (सेसं जहा असुरकुमाराणं) शेष थन सु२४मानी रेम (जाव एएसि भुज्जो भुमो परिणमंति) यापत् मेने भाटे पार पा२ परिणत थाय छे.
(सोहम्मे आभोगनिव्यत्तिए जहण्णेणं दिवसपुहुत्तस्स) सौधम ८५मा सामनिवतित माहार धन्य हिस पृथत्यमi (उक्कोसेणं दोण्हं वाससहस्साणं) GPट मे १२ मां (आहारट्टे समुपज्जइ) मारनी अमिताषा उत्पन्न थाय छे.
__(ईसाणेणं पुच्छा) शान ४८५ समधी प्रश्न ? (गोयमा ! जहण्णेणं दिवसपुहुत्तस्स साइरेगस्स)-३ गोमत! धन्य ४is अधि हिस पृ५४.५i (उक्कोसेणं साइरेग दोह वाससहस्साणं) उत्कृष्ट sisमधिर मे ॥२ मा (सणंकुमाराणं पुच्छ। ?) सनत्कुमार समधी प्रश्न? (गोयमा ! जहण्णेणं दोण्ह वाससहस्साणं) गौतम ! धन्य मे १२ पषभा (उकोसेणं सत्ताह वाससह साणं) ( सात १२ वष मां (माहिदे पुच्छा)
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫