Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रज्ञापनासूत्रे अथवा सप्तविधबन्धकाच षडविधवन्धकश्च एकविधवन्धकाश्चेत्येवं चत्वारो भङ्गाः १९, अथाष्टविधबन्धकपविधन्धककविधबन्धकपदानां युगपत् प्रक्षेपेऽष्टौं भङ्गान् प्रतिपादयितुमाह'अहया सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य छ विहबंधए य एगविहबंधए य भंगा अह' अथवा सप्तविधबन्धकाश्च अष्टविधबन्धकश्च षविधवन्धकश्च एकविधबन्धकश्च २०, अथवा सप्तविध. बन्धकाश्च अष्टविधबन्धकाच षविधबन्धकाश्च एकविधबन्धकाच२१, सप्तविधबन्धकाश्व अष्ट विधबन्धकाच षडूविधवन्धकश्च एकविधबन्धकश्च २२, अथवा सप्तविधबन्धकाश्च अष्टविधबन्धकाच षड् विघबन्धकाश्च एकविधवन्धकश्च २३, अथवा सप्तविधबन्धकाश्च अष्टविधबन्धकाश्च पइविधबन्धकश्च एकविधवन्धकाश्च २४, अथवा सप्तविधबन्धकाश्च अष्टविधबन्धकश्च षड्रविधवन्ध काश्च एकविधबन्धकाश्च २५, अथवा सप्तविधवन्धकाश्च अष्टविधबन्धकश्च षविधछह के बन्धक और एक कोई एक का बन्धक । (१९) अथवा बहुत सात के बन्धक, एक छह का बन्धक और बहुत एक के बन्धक । (ये चार भंग) ___ अब आठ के बन्धक, छह के बन्धक और एक के बन्धक, इन पदों का प्रक्षेप करने से जो आठ भंग निष्पन्न होते हैं, उनका प्रतिपादन करते हैं
(२०) अथवा बहुत सात के बन्धक, एक आठ का बन्धक, एक छह का बन्धक और एक एक का बंधक। (२१) अथवा बहुत सात के बन्धक, बहुत आठ के बन्धक, बहुत छह के बंधक और बहुत एक के बन्धक । (२२) अथवा बहुत सात के बन्धक, बहुत आठ के बन्धक, एक छह के बन्धक और एक एक का बन्धक । (२३) अथवा बहुत सात के बन्धक, बहुत आठ के बन्धक, बहुत छह के पन्धक और कोई एक के बन्धक । (२४) अथवा बहुत सात के बन्धक, बहुत
(૧૯) અથવા ઘણું સાતના બધક, એક છના બન્યક અને ઘણાએકના બન્ધક ( या२ ) " હવે આઠના બન્યા, છના બન્ધક અને એકના બન્યક આ પદને સંમિલિત કરવાથી જે આઠ ભંગ નિપન્ન થાય છે, તેમનું પ્રતિપાદન કરે છે
(૨૦) અથવા ઘણું સાતના બધક એક આઠના બન્ધક એક છના બન્ધક અને એક मेना मन्य.
(૨૧) અથવા ઘણું સાતના બમ્પક ઘણું આઠના બન્ધક, ઘણા છના બન્ધક અને ઘણા એકના બંધક હોય છે.
(૨૨) અથવા ઘણું સાતના બન્ધક, ઘણું આઠના બંધક, એક છના બંધક અને मेमना म..
(૨૩) અથવા ઘણુ સાતને બંધક ઘણા આઠના બંધક, ઘણું છના બંધક અને એક એકના બંધક,
(૨૪) અથવા ઘણા સાતના બંધક, ઘણું આઠના બંધક, એક છના બંધક અને
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫