Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयबोधिना टीका पद २३ सू. ६ सातावेदनीयादि कर्मानुभावनिरूपणम् ____ १९७ सम्यक्त्ववेदनीयम् , मिथ्यात्ववेदनीयम् , सम्यमिथ्यात्ववेदनीयम्, कषायवेदनीयं नो कषायवेदनीयम्, यं वेदयते पुद्गद्गलं वा, पुद्गलवान् वा, पुद्गल परिणामंवा विस्रसया वा पुद्गलानां परिणाम, तेषां वा उदयेन मोहनीयं कर्म वेदयते वा, एष खलु गौतम! मोहनीयस्य कर्मणो यावत् पञ्चविधोऽनुभावः प्रज्ञप्तः, आयुषः खलु भदन्त ! कर्मणो जीवेन तथैव पृच्छा, गौतम ! आयुष्यस्य खलु कर्मणो जीवेन बद्धस्य यावच्चतुर्विधोऽनुभावः प्रज्ञप्तः, बांधे हुए मोहनीय कर्म का (जाव) यावत् (पंचविहे अणुभावे पण्णत्ते) पांच प्रकार का अनुभाव कहा है (तं जहा) वह इस प्रकार (सम्मत्तवेयणिज्जे) सम्यक्त्व वेदनीय(मिच्छत्त वेयणिज्जे) मिथ्यात्व वेदनीय (सम्मामिच्छत्तवेणिज्जे) सम्यक् मिथ्यात्व वेदनीय (कसायवेयणिज्जे) कषाय वेदनीय (नो कसायवेयणिज्जे) नो कषाय वेदनीय ।
(जं वेदेइ) जो वेदता है (पोग्गलं वा) पुद्गल को (पोग्गले वा) अथवा पुद्गलों को (पोग्गलपरिणामं वा) या पुद्गल परिणाम को (वीससा वा) या स्वभाव से (पोग्गलाण परिणाम) पुद्गलों के परिणाम को। (तेसिंवा उदएण) उनके उदय से (मोहणिज कम वेदेइ वा) मोहनीय कर्म को वेदता है (एस ण गोयमा ! मोहणिजस्स कम्मस्स) हे गौतम ! यह मोहनीय कर्म का (पंचविहे अणुभावे पण्णत्ते) पांच प्रकार का अनुभाव कहा है। __ (आउस्स ण भंते ! कम्मस्स) हे भगवन् ! आयु कर्म का (जीवेग) जीव द्वारा (तहेव पुच्छा) उसी प्रकार का प्रश्न (गोयमा! आउस्स ग कम्मस्स जीवेण बद्धस्स) हे गौतम ! जीव द्वारा बांधे हुए आयु कम का (जाव चउच्चिहे अणुभावे पण्णत्ते) यावत् चार प्रकार का अनुभाव हैं। (तं जहा) वह इस प्रकार (नेरइयाउए) नरकायु (तिरियाउए) यावत् (कइविहे अणुभावे पण्णते ?) 31 ना, मनुभाव या छ ?. (गोयमा ! मोहणिज्जस्स कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स) वन १२ मांधे भाडनीय मना (जाव) यावत् (पंचविहे अणुभावे पण्णते) पांय प्रारना अनुमाप या छे (तं जहा) ते ॥ २ (सम्मत्तवेयणिज्जे) सभ्यपहनीय (मिच्छत्तवेयणिज्जे) मिथ्यात्व वहनीय (सम्मामिच्छत्तनेयणिज्जे) सभ्यभिध्यारण हनीय (कसायवेयणिज्जे) ४ाय वेहनीय (नो कसायवेयणिज्जे) ना पाय वहनीय. (जं वेदेइ) रे हे छे. (पोग्गलं वा) युगलने (पोग्गले वा ) अथवा पुशवाने (पोग्गलपरिणामं वा) मगर पुस परिणामने (वीससा वा) या २५माथी (पोग्गलाण परिणाम) Yगाना परिणामाने. ( तेसिवा उदएण) तेमन यथा (मोहणिज्ज कम्मं वेदेइया ) भाडनीय मन हे छ (एस ण गोयमा! मोहज्जिस्स कम्मस्स) गौतम! मा भाडनीय मना (पचविहे अणुभावे पणते) पाय પ્રકારના અનુભાવ કહ્યા છે.
(आउस्स णं भंते कम्मस्स) मायन ! आयुधभना (जीवेण') ७५द्वारा (तहेव पुच्छा) २०१ प्रहारने प्रश्न (गोयमा ! आउयस्स णं कम्मस्स जीवेण बद्धस्स) गौतम ! पाराधेिसा मायु. ४भना (जाव चउविहे अणुभावे पण्ण) यापत् या२ प्रारना मतुला छे, (तं जहा) तं मा प्रा२ (नेरइयाउए) नायु (तिरियाउए) तिय यायु (नणुयाउए) मनुष्यायु (देवाउए) हेपायु.
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫