Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयबोधिनी टीका पद २३ सू० ९ कर्मस्थितिनिरूपणम्
२८५ भागोनः, उत्कृष्टेन पश्चदशसागरोपमकोटीकोटयः, पञ्चदशवर्षशतानि अबाधा, अबाधोना कर्मस्थितिः कर्मनिषेकः, पुरुषवेदस्य खलु पृच्छा, गौतम ! जघन्येनाष्टौ संवत्सराणि, उत्कृष्टेन दशसागरोपमकोटीकोटयः, दशवर्षशतानि अबाधा यावद् निषेकः, नपुंसकवेदस्य खलु पृच्छा, गौतम ! जघन्येन सागरोपमस्य द्वौ सप्तभागौ पल्योपमस्य असंख्सयभागोनौ, उत्कृष्टेन विंशतिः स गरोपनकोटीकोटयः, पिंशतिश्च वषशतानि अबाधा, अबाधोना कर्मस्थितिः कर्मनिषकः, हास्यरत्योः पृच्छा, गौतम ! जघन्येन सागरोपमस्य एकः सप्तभागः मागरोवमस्त दिवइदं सत्तभागं पलिभोवमस्स असंखेजह भागेणं ऊणयं) जघन्य पल्योपम का असंख्यातवां भाग कम सागरोपम का || भाग की (उक्कोसेणं पप गरस सागरोवम कोडाकोडीओ) उत्कृष्ट पन्द्रह कोडाकोडी सागरोपम (पण्ण रस वाससयाई अथाहा०) पन्द्रह सौ वर्ष का अबाधा काल ।
(पुरिसवेयस्स णं पुच्छा ?) पुरुषवेद की स्थिति का प्रश्न! (गोयमा ! जह ण्णेणं अट्ट संबच्छराई) हे गौतम ! जघन्य आठ वर्ष (उक्कोसेणं दस सागरोवम कोडाकोडोओ) उत्कृष्ट दस कोडाकोडी सागरोपम (दसवाससयाई अवाहा) दस सौ वर्ष का अबाधा काल (जाव णिसेगो) यावत् निषेक काल ।
(गपुंसगवेयस्स णं पुच्छा ?) नपुंसक वेद की स्थिति की पृच्छा ? (गोयमा! जहणणेणं सागरोवमस्त दोणि सत्त भागा पलिओवास्स असंखेजइभागेणं ऊणया) हे गौतम ! जघन्य पल्योपम का असंख्यातवाँ भाग कम सागरोपम के
भाग की (उक्कोसेणं वीसं सागरोयमकोडाकोडीओ) उत्कृष्ट वीस कोडाकोडी सागरोपम (वीस य वाससयाई अबाहा०) वीस सौ वर्षो का अबाधा काल
(हासरई णं पुच्छा ?) हास्य और रति की स्थिति की पृच्छा ? (गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमस्स एक्कं सत्तभागं) हे गौतम ! जघन्य सागरोपम का स्स दिवडूढं सत्तभागं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं अणयं) २४५न्य पस्योपभने। ससच्यातभी मा न्यून सा२।५भनी ४ नागनी (उक्कोसेणं पण्णरससागरोवमकोडाकोडीओ) कृष्ट ५४२ 3313131 सा५म (अण्णरसवाससयाइं अबाहा) ५४२ सौ वर्षनी समाधान (पुरिसवेयस्स णं पुच्छा !) ३३५ ३६ स्थितिनी प्रश्न ? (गोयमा ! जहण्णेणं अटूसंवच्छराई) है गौतम : धन्य आ४ ष (उक्कोसेणं दससागरोवमकोडाकोडीओ) कृष्ट शोडी सा५म (दसवाससयाई अब हा) M२ षन! 4 माया (जाव णिसेगो) यापन निषे४१८
(नपुंसगवेयरसणं पुच्छा)नस:३६नी स्थितिनी २७ ? (गोयमा ! जहण्णेग सागरोचमस्स दोण्णिसत्तभागा पलिओवमस्प्ल असंखेज्जई भागेणं ऊणया) हे गौतम ! पन्य पक्ष्यो. ५मना मानी (उक्कोसेणं वीसं सागरोत्रमकोडाकोडीओ) अzट पीस 313131sी सागरी५मनी (विस य वाससयाई अबाहा) मे १२ ११ नो मास.
(हासरईणं पुच्छा ?) १२५ भने तिनी स्थितिनी छ। ? (गोयमा ! जहणणं
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫