Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 48] [जीवाजीवाभिगमसूत्र साकार-उपयोग-किसी भी वस्तु के प्रतिनियत धर्म को (विशेष धर्म को) ग्रहण करने का परिणाम साकार उपयोग है ।'पागारो उ विसेसो' कहा गया है। इसलिए पांच ज्ञान और तीन प्रज्ञान रूप आठ प्रकार का उपयोग साकार उपयोग है। अनाकार-उपयोग-वस्तु के सामान्य धर्म को ग्रहण करने का परिणाम अनाकार उपयोग है। चार दर्शनरूप उपयोग अनाकार उपयोग है। साकार उपयोग के 8 और अनाकार उपयोग के 4, कुल मिलाकर बारह प्रकार का उपयोग कहा गया हैं। ये सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीव मति-अज्ञान और श्रुत-प्रज्ञान वाले होने से इन दोनों उपयोगों को अपेक्षा साकार उपयोग बाले हैं / अचक्षुर्दर्शन उपयोग की अपेक्षा अनाकार उपयोग वाले हैं / 18. आहारद्वार-आहार से तात्पर्य बाह्य पुद्गलों को ग्रहण करना है। सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीव द्रव्य से अनन्तप्रदेशी स्कन्ध का आहार करते हैं। संख्यातप्रदेशी और असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध जीव के द्वारा ग्रहणप्रायोग्य नहीं होते हैं। क्षेत्र से असंख्यात प्रदेशों में रहे हुए स्कन्धों का वे आहार करते हैं। काल से किसी भी स्थिति वाले पुद्गलस्कंधों का वे ग्रहण करते हैं। जघन्य स्थिति, मध्यम स्थिति या उत्कृष्ट स्थिति किसी भी प्रकार की स्थिति वाले आहार योग्य स्कंधों को ग्रहण करते हैं / भाव से-वे जीव वर्ण वाले, गंध वाले, रस वाले और स्पर्श वाले पुद्गलों को ग्रहण करते हैं। क्योंकि प्रत्येक परमाणु में एक वर्ण, एक गंध, एक रस और दो स्पर्श तो होते ही हैं / वर्ण की अपेक्षा से स्थानमार्गणा (सामान्य चिन्ता) को लेकर एक वर्ण वाले, दो वर्ण वाले, तीन वर्ण वाले, चार वर्ण वाले और पांच वर्ण वाले पुद्गलों को ग्रहण करते हैं और भेदमार्गणा की अपेक्षा से काले, नीले, लाल, पीले और सफेद वर्ण वाले पुद्गलों का ग्रहण करते हैं / यह कथन व्यवहारनय की अपेक्षा से जानना चाहिए। व्यवहारदृष्टि से ही एक वर्ण वाले, दो वर्ण वाले आदि होता है। अन्यथा निश्चयनय की अपेक्षा से तो छोटे से छोटे अनन्तप्रदेशी स्कन्ध में पांचों वर्ण पाये जाते हैं / कृष्ण प्रादि प्रतिनियत वर्ण में भी तरतमता पाई जाती है अतएव प्रश्न किया गया कि सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीव जिन काले वर्ण वाले पुद्गलों को ग्रहण करते हैं वे एकगुण काले होते हैं यावत् दस गुण काले होते हैं, संख्यातगुण काले होते हैं, असंख्यातगुण काले होते हैं या अनन्तगुण काले होते हैं ? उत्तर दिया गया है कि एकगुण काले यावत् अनन्तगुण काले पुद्गलस्कंधों का ग्रहण करते हैं। इसी प्रकार दो गंध और पांच रस के विषय में भी समझ लेना चाहिए। __ स्पर्श की अपेक्षा से एक स्पर्श वाले, दो स्पर्श वाले, तीन स्पर्श वाले पुद्गलों का ग्रहण नहीं करते किन्तु चार स्पर्श वाले, पांच स्पर्श वाले, यावत् आठ स्पर्श वाले पुद्गलों को ग्रहण करते हैं / भेदमार्गणा को लेकर कर्कश यावत् रूक्ष का आहार करते हैं / कर्कश आदि स्पर्शों में एकगुण कर्कश यावत अनन्तगुण कर्कश का ग्रहण करते हैं। इसी तरह आठों स्पर्श के विषय में समझ लेना चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org