Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ तृतीय प्रतिपत्ति : जंबूद्वीप क्यों कहलाता है ? ] 153. हे भगवन् ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में कितने चन्द्र चमकते थे, चमकते हैं-उद्योत करते हैं और चमकेंगे? कितने सूर्य तपते थे, तपते हैं और तपेंगे? कितने नक्षत्र (चन्द्रमा के साथ) योग करते थे, करते हैं, करेंगे? कितने महाग्रह आकाश में चलते थे, चलते हैं और चलेंगे ? कितने कोडाकोडी तारागण शोभित होते थे, शोभित होते हैं और शोभित होंगे ? __ गौतम ! जंबूद्वीप में दो चन्द्रमा उद्योत करते थे, करते हैं और करेंगे / दो सूर्य तपते थे, तपते हैं और तपेंगे। छप्पन नक्षत्र चन्द्रमा से योग करते थे, योग करते हैं और योग करेंगे / एक सौ छियत्तर महाग्रह आकाश में विचरण करते थे, करते हैं और विचरण करेंगे। एक लाख तेतीस हजार नौ सौ पचास कोडाकोडी तारागण आकाश में शोभित होते थे, शोभित होते हैं और शोभित होंगे। विवेचन-जंबूद्वीप में दो चन्द्र और दो सूर्य हैं। प्रत्येक चन्द्र के परिवार में 28 नक्षत्र, 88 ग्रह और 66975 कोडाकोडी तारागण हैं।' दो चन्द्रमा होने से 56 नक्षत्र, 176 ग्रह और 1,33,950 कोडाकोडी तारागण हैं। / / जम्बूद्वीप का वर्णन समाप्त / / 1. छावद्विसहस्साइं नव चेव सयाई पंचसयराइं। एकससीपरिवारो तारागण कोडिकोडीणं // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org