Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 654
________________ बड़विधाख्या पंचम प्रतिपत्ति] [143 प्रतिनियत क्षेत्रवर्ती हैं।) उनसे बादरनिगोद अपर्याप्तक असंख्येयगुण हैं (क्योंकि प्रत्येक बादरनिगोद की निश्रा में असंख्येय अपर्याप्त बादरनिगोद उत्पन्न होते हैं / ) उनसे सूक्ष्मनिगोद अपर्याप्तक असंख्येयगुण हैं, (क्योंकि लोकव्यापी होने से क्षेत्र असंख्येयगुण है / ), उनसे सूक्ष्मनिगोद पर्याप्त संख्येयगुण हैं (क्योंकि सूक्ष्मों में अपर्याप्तों से पर्याप्त संख्येयगुण हैं।) प्रदेश की अपेक्षा से ऊपर कहा हुअा क्रम ही जानना चाहिए। यथा-सबसे थोड़े बादरनिगोद पर्याप्त, उनसे बादरनिगोद अपर्याप्त असंख्यातगुण, उनसे सूक्ष्मनिगोद अपर्याप्त असंख्येयगुण और उनसे सूक्ष्मनिगोद पर्याप्त संख्येयगुण हैं। द्रव्य-प्रदेश की अपेक्षा से सबसे थोड़े बादरनिगोद पर्याप्त द्रव्यापेक्षया, उनसे बादर निगोद अपर्याप्त असंख्येयगुण द्रव्यापेक्षया, उनसे सूक्ष्मनिगोद अपर्याप्त असंख्येयगुण द्रव्यापेक्षया, उनसे सूक्ष्मनिगोद पर्याप्त संख्येयगुण द्रव्यापेक्षया, उनसे बादरनिगोद पर्याप्त अनन्तगुण प्रदेशापेक्षया, उनसे बादरनिगोद अपर्याप्त असंख्येयगुण प्रदेशापेक्षया, उनसे सूक्ष्मनिगोद अपर्याप्त असंख्येयगुण प्रदेशापेक्षया, उनसे सूक्ष्म निगोद पर्याप्त संख्येय गुण प्रदेशापेक्षया। निगोदजीवों का अल्पबहत्व-द्रव्य की अपेक्षा--सबसे थोड़े बादरनिगोदजीव पर्याप्त, उनसे बादरनिगोदजीव अपर्याप्त असंख्येयगुण, उनसे सूक्ष्म निगोदजीव अपर्याप्तक असंख्येयगुण, उनसे सूक्ष्मनिगोदजीव पर्याप्तक संख्येयगुण हैं। प्रदेशापेक्षया-सबसे थोड़े बादरनिगोदजीव पर्याप्तक, उनसे बादरनिगोदजीव अपर्याप्तक असंख्येयगुण, उनसे सूक्ष्म निगोदजीव अपर्याप्तक असंख्ययगुण, उनके सूक्ष्म निगोदजीव पर्याप्तक संख्येयगुण / द्रव्य-प्रदेशापेक्षया--सबसे थोड़े बादरनिमोदजीव पर्याप्त द्रव्यापेक्षया, उनसे बादरनिगोदजीव अपर्याप्त असंख्यातगुण द्रव्यापेक्षया, उनसे सूक्ष्मनिगोदजीव अपर्याप्त असंख्यगुण द्रव्यापेक्षया, उनसे सूक्ष्मनिगोदजीव पर्याप्त संख्येयगुण द्रव्यापेक्षया, उनसे बादरनिगोदजीव पर्याप्त असंख्येयगुण प्रदेशापेक्षया, उनसे बादरनिगोदजीव अपर्याप्त असंख्येयगुण प्रदेशापेक्षया, उनसे सूक्ष्मनिगोदजीव अपर्याप्त असंख्येयगुण प्रदेशापेक्षया, उनसे सूक्ष्मनिगोदजीव पर्याप्त संख्येयगुण प्रदेशापेक्षया / 224. (आ) एएसि पं भंते ! णिगोवाणं सुहमाणं बायराणं पज्जत्ताणं अपज्जत्ताणं णिओयजीवाणं सुहमाणं बायराणं पज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाणं दवट्ठयाए, पएसट्टयाए दवपएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा बायरणिओदा पज्जता दवट्टयाए, बायरणिगोदा अपज्जत्ता दवट्टयाए असंखेज्जगुणा, सुहमणिगोदा अपज्जता दवट्ठयाए असंखेज्जगुणा, सुहमणिगोदा पज्जत्ता दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा / सुहमणिगोदेहितो पज्जत्तेहितो बायरणियोदजीवा पज्जत्ता दवट्ठयाए अणंतगुणा, बायरणिओदजीवा अपज्जत्ता दवट्ठयाए असंखेज्जगुणा, सुहमणिोदजीवा अपज्जत्ता दवट्ठयाए असंखेज्जगुणा, सुहमणिनोदजीवा पज्जत्ता दवट्ठयाए संखेज्जगुणा। पएसट्टयाए सम्वत्थोवा बायरणिगोदजीवा पज्जत्ता, पएसट्टयाए बायरणिगोदा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, सुहमणिनोयजीवा अपज्जत्तगा पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा, सुहमणिओयजीवा पज्जत्ता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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