________________ 214] (जीवाजीवाभिगमसूत्र अप्रथमसमयमनुष्य जघन्य से एक समय कम क्षुल्लकभवग्रहण और उत्कर्ष से पूर्वकोटिपृथक्त्व अधिक तीन पल्योपम तक रहता है। देव का कथन नैरयिक की तरह है। भगवन् ! प्रथमसमयसिद्ध उस रूप में कितने समय रहता है ? गौतम ! एक समय तक / अप्रथमसमयसिद्ध सादि-अपर्यवसित होने से सदाकाल रहता है / भगवन् ! प्रथमसमयनैरयिक का अन्तर कितना है ? गौतम ! जघन्य से अन्तर्मुहूर्त अधिक दस हजार वर्ष और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल है। अप्रथमसमयनैरयिक का अन्तर जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल है। भगवन् ! प्रथमसमयतिर्यग्योनिक का अन्तर कितना है ? गौतम ! जघन्य एक समय कम दो क्षुल्लकभवग्रहण है, उत्कर्ष से वनस्पतिकाल है। अप्रथमसमयतिर्यग्योनिक का अन्तर जघन्य समयाधिक क्षुल्लकभवग्रहण है और उत्कर्ष से साधिक सागरोपमशतपृथक्त्व है। भगवन् ! प्रथमसमयमनुष्य का अन्तर कितना है ? गौतम ! जघन्य एक समय कम दो क्षुल्लकभवग्रहण है और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल है। अप्रथमसमयमनुष्य का अन्तर जघन्य समयाधिक क्षुल्लकभव और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल है / देव का अन्तर नैरयिक की तरह कहना चाहिए / भगवन् ! प्रथमसमयसिद्ध का अन्तर कितना है ? प्रथमसमय सिद्ध का अन्तर नहीं है। भगवन् ! अप्रथमसमयसिद्ध का अन्तर कितना है ? अप्रथमसमयसिद्ध सादि-अपर्यवसित होने से अन्तर नहीं है। भगवन् ! प्रथमसमयनैरयिक, प्रथमसमयतिर्यग्योनिक, प्रथमसमयमनुष्य, प्रथमसमयदेव और प्रथमसमयसिद्धों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े प्रथमसमयसिद्ध, उनसे प्रथमसमयमनुष्य असंख्येयगुण, उनसे प्रथमसमयनरयिक असंख्येयगुण, उनसे प्रथमसमयदेव असंख्यातगुण और उनसे प्रथमसमयतिर्यग्योनिक असंख्येयगुण हैं। भगवन् ! इन अप्रथमसमयनैरयिक यावत् अप्रथमसमय सिद्धों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े अप्रथमसमयमनुष्य, उनसे अप्रथमसमयनै रयिक असंख्येयगुण, उनसे अप्रथमसमयदेव असंख्येयगुण, उनसे अप्रथमसमयसिद्ध अनन्तगुण और उनसे अप्रथमसमयतिर्यग्योनिक अनन्तगुण हैं। भगवन् ! इन प्रथमसमयनैरयिकों और अप्रथमसमयनैरयिकों में कौन किससे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org