Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
________________ 144] [जीवाजीथाभिगमसूत्र पएसट्टयाए संखेज्जगुणा, सुहमणिोदजीवेहितो पएसट्ठयाए बायरणिगोदा पज्जता पदेसट्टयाए अणंतगुणा, बायरणिओया अपज्जत्ता पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा जाव सुहमणिोदा पज्जत्ता पएसट्टयाए संखेज्जगुणा। दव्वटु-पएसट्टयाए-सव्वत्थोवा बायरणिपोया पज्जत्ता दवट्ठयाए, बायरणिओदा अपज्जत्ता दबट्ठयाए असंखेज्जगुणा जाव सुहमणिगोदा पज्जत्ता दवट्ठयाए संखेज्जगुणा, सुहमणिगोदेहितो दन्वट्ठयाए बायरणिगोदजीवा पज्जत्ता दवट्ठयाए अणंतगुणा, सेसा तहेव जाव सुहमणिओदजीवा पज्जत्तगा दवट्ठयाए संखेज्जगुणा. सुहमणिनोदजीवेहितो पज्जत्तएहितो दवट्ठयाए बायरणिओयजीवा पज्जत्ता पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा, सेसा तहेव जाव सुहमणिोदा पज्जत्ता पएसट्टयाए संखेज्जगुणा / से तं छव्धिहा संसारसमावण्णगा। 224. (मा) भगवन् ! इन सूक्ष्म, बादर, पर्याप्त और अपर्याप्त निगोदों में और सूक्ष्म, बादर, पर्याप्त और अपर्याप्त निगोदजीवों में द्रव्यापेक्षया, प्रदेशापेक्षया और द्रव्य-प्रदेशापेक्षया कौन किससे कम, अधिक, तुल्य और विशेषाधिक हैं ? ___ गौतम ! सब से कम बादरनिगोद पर्याप्त द्रव्यापेक्षया, उनसे बादरनिगोद अपर्याप्त असंख्येयगुण द्रव्यापेक्षया, उनसे सूक्ष्म निगोद अपर्याप्त असंख्येयगुण द्रव्यापेक्षया, उनसे सूक्ष्मनिगोद पर्याप्त संख्येयगुण द्रव्यापेक्षया, उनसे बादरनिगोद जीव पर्याप्त अनन्तगुण द्रव्यापेक्षया, उनसे बादरनिगोद जीव अपर्याप्त संख्येय गुण द्रव्यापेक्षया, उनसे सूक्ष्मनिगोदजीव अपर्याप्त असंख्येयगण द्रव्यापेक्षया, उनसे सूक्ष्मनिगोद जीव पर्याप्त संख्येयगुण द्रव्यापेक्षया। प्रदेशों की अपेक्षा-सबसे थोड़े बादरनिगोदजीव पर्याप्तक, उनसे बादरनिगोद अपर्याप्त असंख्येयगुण, उनसे सूक्ष्मनिगोदजीव अपर्याप्त असंख्येयगुण, उनसे सूक्ष्मनिगोदजीव पर्याप्त संख्येयगुण, उनसे बादरनिगोद पर्याप्त अनन्तगुण, उनसे बादरनिगोद अपर्याप्त असंख्येयगुण, उनसे सूक्ष्मनिगोद अपर्याप्त असंख्येयगुण, उनसे सूक्ष्म निगोद पर्याप्त संख्येयगुण / / द्रव्यार्थ-प्रदेशार्थ को अपेक्षा-सबसे थोड़े बादरनिगोद पर्याप्त द्रव्यार्थतया, उनसे बादरनिगोद अपर्याप्त असंख्येयगुण द्रव्यार्थतया, उनसे सूक्ष्मनिगोद अपर्याप्त असंख्येयगुण द्रव्यार्थतया, उनसे सूक्ष्म निगोद पर्याप्त संख्येयगुण द्रव्यार्थतया, उनसे बादरनिगोदजीव पर्याप्त अनन्तगुण द्रव्यार्थतया, उनसे बादरनिगोदजीव अपर्याप्त असंख्येयगुण द्रव्यार्थतया, उनसे सूक्ष्मनिगोदजीव अपर्याप्त असंख्येयगुण द्रव्यार्थतया, उनसे सूक्ष्मनिगोदजीव पर्याप्त संख्येयगुण द्रव्यार्थतया, उनसे बादरनिगोदजीव पर्याप्त असंख्येयगुण प्रदेशार्थतया, उनसे बादरनिगोदजीव अपर्याप्त असंख्येयगुण प्रदेशार्थतया, उनसे सूक्ष्मनिगोदजोव अपर्याप्त असंख्येय गुण प्रदेशार्थतया, उनसे सूक्ष्म निगोदजीव पर्याप्त संख्येयगुण प्रदेशार्थतया, उनसे बादरनिगोद पर्याप्त अनंतगुण प्रदेशार्थतया, उनसे बादरनिगोद अपर्याप्त असंख्येयगुण प्रदेशार्थतया, उनसे सूक्ष्मनिगोद अपर्याप्त असंख्येयगुण प्रदेशार्थतया, उनसे सूक्ष्मनिगोद पर्याप्त संख्येयगुण प्रदेशार्थतया। उक्त रीति से निगोद और निगोदजीवों का सूक्ष्म, बादर, पर्याप्त और अपर्याप्त का अल्पबहुत्व द्रव्यापेक्षया, प्रदेशापेक्षया और द्रव्य-प्रदेशापेक्षया बताया गया है। इस प्रकार छह प्रकार के संसारसमापनकों की पंचम प्रतिपत्ति पूर्ण हुई। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
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