Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 719
________________ 208] [जीवाजीवाभिगमसूत्र एएसि णं भंते ! पढमसमयणेरइयाणं पढमसमयतिरिक्खजोणियाणं पढमसमयमणूसाणं पढमसमयदेवाण य कयरे ? गोयमा ! सव्वत्थोवा पढमसमयमणुस्सा, पढमसमयणेरइया असंखेज्जगुणा, पढमसमयदेवा असंखेज्जगुणा, पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखेज्जगुणा। एएसि णं भंते ! अपढमसमयनेरइयाणं अपढमसमयतिरिक्खजोणियाणं अपढमसमयमणूसाणं अपढमसमयदेवाण य कयरे ? गोयमा ! सव्वत्योवा अपढमसमयमणूसा, अपढमसमयनेरइया असंखेज्जगुणा, अपढमसमयदेवा असंखेज्जगुणा, अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अणंतगुणा। एएसि णं भंते ! पढमसमयनेरइयाणं प्रपढमसमयनेरइयाण य कयरे * ? गोयमा ! सव्वत्थोवा पढमसमयनेरइया, अपढमसमयनेरइया असंखेज्जगुणा / एएसि णं भंते ! पढमसमयतिरिक्खजोणियाणं अपढमसमयतिरिक्खजोणियाणं कयरे ? गोयमा ! सम्वत्थोवा पढमसमयतिरिक्खजोणिया, अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अणंतगुणा। मणुयदेव-अप्पाबहुयं जहा नेरइयाणं / एएसि णं भंते ! पढमसमयनेरइयाणं पढमसमयतिरिक्खजोणियाणं पढमसमयमणूसाणं पढमसमयदेवाणं अपढमसमयनेरइयाणं अपढमसमयतिरिक्खजोणियाणं अपढमसमयमणूसाणं अपढमसमयदेवाणं सिद्धाण य कयरे कयरेहितो अप्पा० ? गोयमा ! सव्वत्थोवा पढमसमयमणूसा, अपढमसमयमणूसा असंखेज्जगुणा, पढमसमयनेरइया असंखेज्जगुणा, पढमसमयदेवा असंखेज्जगुणा, पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखेज्जगुणा, अपढमसमयनेरइया असंखेज्जगुणा, अपढमसमयदेवा असंखेज्जगुणा, सिद्धा अणंतगुणा, अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अणंतगुणा / सेत्तं नवविहा सव्वजीवा पण्णत्ता। 257. अथवा सर्व जीव नौ प्रकार के हैं 1. प्रथमसमयनैरयिक, 2. अप्रथमसमयनरयिक, 3. प्रथमसमयतिर्यग्योनिक, 4. अप्रथमसमयतिर्यग्योनिक, 5. प्रथमसमयमनुष्य, 6. अप्रथमसमयमनुष्य, 7. प्रथमसमयदेव, 8. अप्रथमसमयदेव और 9. सिद्ध। भगवन् ! प्रथमसमयनैरयिक, प्रथमसमयनैरयिक के रूप में कितने समय रहता है ? गौतम ! एक समय / अप्रथमसमयनैरयिक जघन्य एक समय कम दस हजार वर्ष और उत्कर्ष से एक समय कम तेतीस सागरोपम तक रहता है। प्रथमसमयतिर्यग्योनिक एक समय तक और अप्रथमसमयतिर्यग्योनिक जघन्य एक समय कम क्षुल्लकभवग्रहण तक और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल तक / प्रथमसमयमनुष्य एक समय और अप्रथमसमयमनुष्य जघन्य समय कम क्षुल्लकभवग्रहण और उत्कर्ष से पूर्वकोटिपृथक्त्व अधिक तीन पल्योपम तक रहता है / देव का कथन नैरयिक के समान है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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