________________ 40] [जीवाजीवामिगमसूत्र पुक्खरवरदीवस्स विजए णामं दारे पण्णत्ते, तं चेव सव्वं / एवं चत्तारिवि दारा / सीयासीओदा गस्थि माणियन्याओ। पुक्खरवरस्स णं भंते ! दीवस्स दारस्स य दारस्स य एस णं केवइयं अबाधाए अंतरे पण्णते? गोयमा! अडयाल सयसहस्सा बावीसं खलु भवे सहस्साई। अगुणत्तरा य चउरो दारंतर पुक्खरवरस्स // 1 // पएसा दोहवि पुट्ठा, जीवा दोसुवि भाणियव्वा। से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ पुक्खरवरदीवे पुक्खरवरदीवे ? गोयमा! पुक्खरवरे णं दीवे तत्थ तत्थ देसे तहि तहिं बहवे पउमरुक्खा पउमवणा पउमवणसंडा णिच्चं कुसुमित्रा जाव चिट्ठति; पउममहापउमरुवले एस्थ णं पउमपुउरीया गाम दुवे देवा महिड्डिया जाव पलिओक्म दिईया परिवसंति, से तेणठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ पुक्खरवरदीवे पुक्खरवरसीवे जाव णिच्चे। पुक्खरवरे णं भंते ! दीवे केवइया चंदा पभासिसु वा 3 ? एवं पुच्छा-- चोयालं चंदसयं चउयालं चेव सूरियाण सयं / पुक्खरवरदीवंमि चरंति एता पभार्सेता // 1 // चत्तारि सहस्साई बत्तीसं चेव होंति णक्खता। छच्च सया बावत्तर महगगहा बारस सहस्सा // 2 // छण्णउइ सयसहस्सा चत्तालीसं भवे सहस्साई / चत्तारि सया पुक्खरवर तारागणकोडिकोडीणं // 3 // सोभिसु वा सोभन्ति वा सोभिस्संति वा / 176. (अ) गोल और वलयाकार संस्थान से संस्थित पुष्करवर नाम का द्वीप कालोदसमुद्र को सब ओर घेर कर रहा हुआ है। उसी प्रकार कहना चाहिए यावत् यह समचक्रवाल संस्थान वाला है, विषमचक्रवाल संस्थान वाला नहीं है। भगवन् ! पुष्करवरद्वीप का चक्रवालविष्कंभ कितना है और उसकी परिधि कितनी है ? गौतम ! वह सोलह लाख योजन चक्रवाल विष्कंभ वाला है और उसकी परिधि एक करोड़ बान लाख नव्यासी हजार आठ सौ चौरानवै (19289894) योजन है। वह एक पद्मवरवेदिका और एक वनखण्ड से परिवेष्ठित है। दोनों का वर्णनक कहना चाहिए। भगवन् ! पुष्करवरद्वीप के कितने द्वार हैं ? गौतम ! चार द्वार हैं-- विजय, वैजयंत, जयंत और अपराजित / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org