________________ 10] [जीवाजीवाभिगमसूत्र भगवन् ! सौधर्म-ईशान कल्पों के देवों के शरीर का स्पर्श कैसा कहा गया है ? गौतम ! उनके शरीर का स्पर्श स्थिर रूप से मृदु, स्निग्ध और मुलायम छवि वाला कहा गया है / इसी प्रकार अनुत्तरोपपातिकदेवों पर्यन्त कहना चाहिए। भगवन् ! सौधर्म-ईशान देवों के श्वास के रूप में कैसे पुद्गल परिणत होते हैं ? गौतम ! जो पुद्गल इष्ट, कान्त, प्रिय, मनोज्ञ और मनाम होते हैं, वे उनके श्वास के रूप में परिणत होते हैं। यही कथन अनुत्तरोपपातिकदेवों तक कहना चाहिए तथा यही बात उनके प्राहार रूप में परिणत होने वाले पुद्गलों के सम्बन्ध में जाननी चाहिए। यही कथन अनुत्तरोपपातिकदेवों पर्यन्त समझना चाहिए। भगवन् ! सौधर्म-ईशान देवलोक के देवों के कितनी लेश्याएं होती हैं ? गौतम ! उनके मात्र एक तेजोलेश्या होती है। सनत्कुमार और माहेन्द्र में एक पद्मलेश्या होती है, ब्रह्मलोक में भी पालेश्या होती है। शेष सब में केवल शुक्ललेश्या होती है / अनुत्तरोपपातिकदेवों में परमशुक्ललेश्या होती है।' भगवन् ! सौधर्म-ईशान कल्प के देव सम्यग्दृष्टि हैं, मिथ्यादृष्टि हैं या सम्यग्मिध्यादृष्टि हैं ? ___ गौतम ! तीनों प्रकार के हैं / अवेयक विमानों तक के देव सम्यग्दृष्टि-मिथ्यादृष्टि-मिश्रदृष्टि तीनों प्रकार के हैं / अनुत्तर विमानों के देव सम्यग्दृष्टि ही होते हैं, मिथ्यादृष्टि और मिश्रदृष्टि वाले नहीं होते। भगवन् ! सौधर्म-ईशान कल्प के देव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? गौतम ! दोनों प्रकार के हैं / जो ज्ञानी हैं वे नियम से तीन ज्ञान वाले हैं और जो अज्ञानी हैं वे नियम से तीन अज्ञान वाले हैं। यह कथन ग्रेवेयकविमान तक करना चाहिए। अनुत्तरोपपातिकदेव ज्ञानी ही हैं-अज्ञानी नहीं। इस प्रकार अवेयकदेवों तक तीन ज्ञान और तीन अज्ञान की नियमा है। अनुत्तरोपपातिकदेव ज्ञानी ही हैं-अज्ञानी नहीं / इस प्रकार अवेयकदेवों तक तीन ज्ञान और तीन अज्ञान की नियमा है। अनुत्तरोपपातिकदेव ज्ञानी ही हैं, अज्ञानी नहीं। उनमें तीन ज्ञान नियमत: होते ही हैं। इसी प्रकार उन देवों में तीन योग और दो उपयोग भी कहने चाहिए। सौधर्म-ईशान से लगाकर अनुत्तरोपपातिक पर्यन्त सब देवों में तीन योग और दो उपयोग पाये जाते हैं। अवधिक्षेत्रादि प्ररूपण 202. सोहम्मीसाणेसु देवा प्रोहिणा केवइयं खेत्तं जाणंति पासंति ? गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जहभागं, उक्कोसेणं अहे जाव रयणप्पभापुढवी, उड्ढं जाव साई विमाणाई, तिरियं जाव असंखेज्जा दीवसमुद्दा एवं१. किण्हा नीला काऊ तेउलेस्सा य भवणवंतरिया। जोइस' सोहम्मीसाण तेउलेस्सा मुणेयव्वा // 1 // कप्पेसणंकूमारे माहिंदे व बंभलोए या एएस पम्हलेस्सा तेण परं सुक्कलेस्सा य // 2 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org