________________ अरणद्वीप को वक्तव्यता] हैं जो सर्ववञमय हैं और स्वच्छ हैं। यहां प्रशोक और वीतशोक नाम के दो महद्धिक देव रहते हैं / इस कारण से इसका नाम अरुणद्वीप है। यहां सब ज्योतिष्कों की संख्या संख्यात जाननी चाहिए। 185. (आ) अरुणं णं दीवं अरुणोदे णामं समुद्दे, तस्सवि तहेव परिक्खेवो अट्ठो, खोदोदगे, णवरि सुभद्दसुमणभद्दा एत्य दुवे देवा महिड्डिया सेसं तहेव / ___ अरुणोदगं समुद्नं प्रणवरे णाम दीवे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिए तहेव संखेज्जगं सव्वं जाव खोदोगपडिहस्थानो० उपायपव्वया सव्यवहरामया अच्छा। अरुणवरभट्ट-अरुणवरमहाभदृ एत्थ दो देवा महिड्डिया० / एवं अरुणवरोदेवि समुद्दे जाव देवा अरुणवर-अरुणमहावरा य एत्थ दो देवा, सेसं तहेव। अरुणवरोदं णं समुई अरुणवरावभासे णाम वीवे वट्टे जाव देवा अरुणवरावभासभद्द-अरुणवरावभासमहाभद्दा य एस्थ दो देवा महिड्डिया। एवं अरुणवरावभासे समुद्दे णवरं देवा अरुणवरावभासवर-अरुणवरावभासमहावरा एत्थ दो देवा महिड्डिया। कुण्डले दीवे कुडलभद्द-कुडलमहाभद्दा दो देवा महिड्डिया / कुडलोदे समुद्दे चक्खसुभ-चक्खुकंता एत्थ दो देवा महिड्डिया। कुडलवरे दीवे कुण्डलवरभद्द-कुण्डलवरमहाभद्दा एत्थ णं दो देवा महिड्डिया। कुडलवरोदे समुद्दे कुण्डलवर-कुंडलवरमहावर एत्थ दो देवा महिड्डिया। कुंडलवरावभासे दीवे कुंडलवरावभालभद्द-कुडलवरावभासमहाभद्दा एत्थ दो देवा महिड्डिया / कुडलवरोभासोदे समुद्दे कुडलवरोभासवर-कुडलवरोभासमहावरा एत्थ दो देवा महिड्डिया जाव पलिप्रोवमद्विइया परिवसंति / 185. (मा) अरुणद्वीप को चारों ओर से घेरकर अरुणोद नाम का समुद्र अवस्थित है / उसका विष्कभ, परिधि, अर्थ, उसका इक्षुरस जैसा पानी आदि सब कथन पूर्ववत् जानना चाहिए। विशेषता यह है कि इसमें सुभद्र और सुमनभद्र नामक दो महद्धिक देव रहते हैं, शेष पूर्ववत् कहना चाहिए। उस अरुणोदक नामक समुद्र को अरुणवर नाम का द्वीप चारों ओर से घेरकर स्थित है। वह गोल और वलयाकार संस्थान वाला है। उसी तरह संख्यात लाख योजन का विष्कंभ, परिधि प्रादि जानना चाहिए / अर्थ के कथन में इक्षुरस जैसे जल से भरी बावड़ियां, सर्ववज्रमय एवं स्वच्छ, उत्पातपर्वत और अरुणवरभद्र एवं अरुणवरमहाभद्र नाम के दो महद्धिक देव वहां निवास का कथन करना चाहिए / इसी प्रकार अरुणवरोद नामक समुद्र का वर्णन भी जानना चाहिए यावत् वहां अरुणवर और अरुणमहावर नाम के दो महद्धिक देव रहते हैं। शेष पूर्ववत्। ___ अरुणवरोदसमुद्र को अरुणवरावभास नाम का द्वीप चारों ओर से घेर कर स्थित है / वह गोल है यावत् वहां अरुणवरावभासभद्र एवं अरुणवरावभासमहाभद्र नाम के दो महद्धिक देव रहते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org