________________ ज्योतिष्क चन्द्र-सूर्याधिकार] [ 5 सुणिम्मियसुजाय-अप्फोडिय-णंगूलाणं वइरामयणक्खाणं वइरामयदंताणं वइरामयदाढाणं तवणिज्जजोहाणं तवणिज्जतालुयाणं तवणिज्जजोत्तगसुजोइयाणं कामगमाणं पीइगमाणं मणोगमाणं मणोरमार्ण मणोहराणं अमियगईणं प्रमियबलविरियपुरिसकारपरकम्माणं महया अप्फोडिय-सोहनाइय-बोलकलकलरवेणं महुरेणं मणहरेण य पूरिता अंबरं दिसाओ य सोभयंता चत्तारि देवसाहस्तीनो सीहरूवधारिणं देवाणं पुरच्छिमिल्लं बाहं परिबहंति / 194. (अ) भगवन् ! चन्द्रविमान को कितने हजार देव वहन करते हैं ? गौतम ! सोलह हजार देव चन्द्रविमान को वहन करते हैं। उनमें से चार हजार देव सिंह का रूप धारण कर पूर्व दिशा से उठाते हैं। उन सिंहों का रूपवर्णन इस प्रकार है-वे श्वेत हैं. सन्दर श्रेष्ठ कांति वाले हैं, शंख के तल के समान विमल और निर्मल तथा जमे हुए दही, गाय का दूध, फेन चांदी के निकर (समूह) के समान श्वेत प्रभा वाले हैं, उनकी आंखें शहद की गोली के समान पीली हैं, उनके मुख में स्थित सुन्दर प्रकोष्ठों से युक्त गोल, मोटी, परस्पर जुड़ी हुई विशिष्ट और तीखी दाढ़ाएं हैं, उनके तालु और जीभ लाल कमल के पत्ते के समान मृदु एवं सुकोमल हैं, उनके नख प्रशस्त और शुभ वैडूर्यमणि की तरह चमकते हुए और कर्कश हैं, उनके उरु विशाल और मोटे हैं, उनके कंधे पूर्ण और विपुल हैं, उनके गले को केसर-सटा मृदु विशद (स्वच्छ) प्रशस्त सूक्ष्म लक्षणयुक्त और विस्तीर्ण है, उनकी गति चंक्रमणों-लीलाओं और उछलने-कदने से गर्वभरी (मस्तानी) और साफसुथरी होती है, उनकी पूछे ऊँची उठी हुईं, सुनिमित-सुजात और फटकारयुक्त होती हैं / उनके नख वज्र के समान कठोर हैं, उनके दांत बज्र के समान मजबूत हैं, उनकी दाढ़ाएं बज्र के समान सुदृढ़ हैं, तपे हुए सोने के समान उनकी जीभ है, तपनीय सोने की तरह उनके तालु हैं, सोने के जोतों से वे जोते हुए हैं / ये इच्छानुसार चलने वाले हैं, इनकी गति प्रीतिपूर्वक होती है, ये मन को रुचिकर लगने वाले हैं, मनोरम हैं, मनोहर हैं, इनकी गति अमित-अवर्णनीय है (चलते-चलते थकते नहीं), इनका बल-वीर्यपुरुषकारपराक्रम अपरिमित है। ये जोर-जोर से सिंहनाद करते हुए और उस सिंहनाद से आकाश और दिशाओं को गुजाते हुए और सुशोभित करते हुए चलते रहते हैं / (इस प्रकार चार हजार देव सिंह का रूप धारण कर चन्द्रविमान को पूर्व दिशा की ओर से वहन करते चलते हैं / ) 194. (आ) चंदविमाणस्स णं दक्खिणेणं सेयाणं सुभगाणं सुप्पभाणं संखतलविमलनिम्मलदधिघणगोखोरफेणरययणियरप्पगासाणं वइरामयकु भजुयलसुट्टियपीवरवरवइरसोडवट्टियदित्तसुरत्तपउमप्पगासाणं अब्भुण्णयमुहाणं तवणिज्जविसालचंचल-चलंतचवलकण्णविमलुज्जलाणं मधुवण्णभिसंतणिपिंगलपत्तलतिवण्णमणिरयणलोयणाणं अन्भुग्गयमउलमल्लियाणं धवल-सरिससंठिय-णिव्वणवढकसिण-फालियामयसुजायदंत-मुसलोवसोभियाणं कंचणकोसीपविट्ठदंतग्गविमलमणिरयणरुइरपेरंतचित्तरूवगविरायाणं तवणिज्ज-विसालतिलगपमुहपरिमंडियाणं जाणामणिरयणमुद्धगेवेज्जबद्ध-गलयवर-भूसणाणं वेरुलियविचित्त-दंडणिम्मलवइरामयतिक्खलढुअंकुसकु भजुयलंतरोदियाणं तवणिज्जसुबद्धकच्छदप्पियबलुद्धराणं जंबूणयविमलघणमंडलवइरामयलालाललिय-ताल-णाणामणिरयणघंटपासगरययामय-रज्जुबद्धलंबितघंटाजुयलमहुरसरमणहराणं अल्लीण-पमाण जुत्त बट्टियसुजायलक्खण-पसत्यतवणिज्जबालगत्तपरिपुच्छणाणं उवचिय-पडिपुण्ण-कुम्भ-चलण-लहु-विक्कमाणं अंकामयणक्खाणं तवणिज्जतालुयाणं तवणिज्जजीहाणं तवणिज्जजोत्तगसुजोइयाणं कामगमाणं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org