________________ ॐ अहं जिनागम-ग्रन्यमाला : प्रन्याङ्क 31 [परमश्रद्धेय गुरुदेव पूज्य श्री जोरावरमलजी महाराज की पुण्यस्मृति में आयोजित] श्रुतस्थविरप्रणीत-उपाङ्गसूत्र जीवाजीवाभिगमसूत्र [मूलपाठ, प्रस्तावना, अर्थ, विवेचन तथा परिशिष्ट प्रादि युक्त] [द्वितीय खण्ड] प्रेरणा (स्व.) उपप्रवर्तक शासनसेवी स्वामी श्री ब्रजलालजी महाराज श्राद्य संयोजक तथा प्रधान सम्पादक (स्व०) युवाचार्य श्री मिश्रीमलजी महाराज 'मधुकर' सम्पादन श्री राजेन्द्रमुनिजी एम. ए., साहित्यमहोपाध्याय प्रकाशक श्री आगमप्रकाशन समिति, न्यावर (राजस्थान) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org