________________ 34] [जीवाजीवाभिगमसूत्र कुसुमिया जाव उवसोभेमाणा उवसोभेमाणा चिट्ठति / धायइमहाधायइरुक्खेसु सुदंसणपियवंसणा दुवे देवा महिड्डिया जाव पलिओवमट्टिईया परिवसंति, से एएणडेणं एवं वुच्चइ-धायइसंडे दीवे धायइसंडे दीवे / अवुत्तरं च णं गोयमा ! जाय णिच्चे। धायइसंडे णं दीवे कति चंदा पभासिसु वा पभासिति वा पभासिस्संति वा? कइ सूरिया तविसु वा 3 / कइ महग्गहा चारं चरिसु वा 3 ? कइ णक्खत्ता जोगं जोइंसु वा 3 ? कह तारागणकोडाकोडीओ सोभिंसु वा 3? गोयमा ! बारस चंदा पभासिसु वा 3 एवं चउवीसं ससिरविणो णक्खत्तासता य तिनि छत्तीसा। एगं च गहसहस्सं छप्पन्नं धायइसंडे // 1 // अद्वैव सयसहस्सा तिण्णि सहस्साई सत्त य सयाई / धायइसंडे दीवे तारागण कोडिकोडीणं // 2 // सोभिसु वा सोभंति वा सोभिस्संति वा। 174. धातकीखण्ड नाम का द्वीप, जो गोल वलयाकार संस्थान से संस्थित है, लवणसमुद्र को सब ओर से घेरे हुए संस्थित है। भगवन् ! धातकीखण्डद्वीप समचक्रवाल संस्थान से संस्थित है या विषमचक्रवाल संस्थानसंस्थित है ? गौतम ! धातकीखण्ड समचक्रवाल संस्थान-संस्थित है, विषमचक्रवालसंस्थित नहीं है। भगवन् ! धातकीखण्डद्वीप चक्रवाल-विष्कंभ से कितना चौड़ा है और उसकी परिधि कितनी है ? गौतम ! वह चार लाख योजन चक्रवालविष्कंभ वाला और इकतालीस लाख दस हजार नौ सौ इकसठ योजन से कुछ कम परिधि वाला है।' वह धातकीखण्ड एक पद्मवरवेदिका और वनखण्ड से सब ओर से घिरा हुआ है। दोनों का वर्णनक कहना चाहिए / धातकीखण्डद्वीप के समान ही उनकी परिधि है। भगवन् ! धातकीखण्ड के कितने द्वार हैं ? गौतम ! धातकीखण्ड के चार द्वार हैं, यथा--विजय, वैजयंत, जयन्त और अपराजित / 1. एयालीसं लक्खा दस य सहस्साणि जोयणाणं तु / नब य सया एगट्ठा किंचूणो परिरमो तस्स / / 1 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org