Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 236] [जीवाजीवामिगमसूत्र रत्नप्रभा के प्रस्तटों में अवगाहना प्रस्तट धनुष हाथ अंगुल ا ل م 8 // نه ل و ل 18 // مه له م 11 // 20 4 // و م vorw و 21 // لایر शर्कराप्रभा के 11 प्रस्तट हैं / इसके पहले प्रस्तट में वही अवगाहना है जो रत्नप्रभा के 13 वें प्रस्तट में है अर्थात् 7 धनुष 3 हाथ और 6 अंगुल / इसके बाद प्रत्येक प्रस्तट में 3 हाथ 3 अंगुल की वृद्धि कहनी चाहिए तो उसका प्रमाण इस प्रकार होगा--- शर्कराप्रभा के प्रस्तटों में अवगाहना धनुष हाथ w | سه له م و لل ل my yo mw Owono or worror ع م و له به Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org