________________ 274] [जीवानीवामिगमसूत्र हैं / हरितकाय वनस्पतिकाय के अन्तर्गत और वनस्पति स्थावरकाय में और स्थावरकाय का जीवों में समावेश हो जाता है। इस प्रकार सूत्रानुसार स्वयं समझने से या दूसरों के द्वारा समझाया जाने से अर्थालोचन रूप से विचार करने से, युक्ति प्रादि द्वारा गहन चिन्तन करने से, पूर्वापर पर्यालोचन से सब संसारी जीवों का इन दो—सकाय और स्थावरकाय में समवतार होता है। इस विषय में प्राजीव दृष्टान्त समझना चाहिए / अर्थात् जिस प्रकार 'जीव' शब्द में समस्त त्रस, स्थावर, सूक्ष्म-बादर, पर्याप्त-अपर्याप्त प्रौर षट्काय आदि का समावेश होता है, उसी प्रकार इन चौरासी लाख जीवयोनियों में समस्त संसारवर्ती जीवों का समावेश समझना चाहिए। यहाँ जो चौरासी लाख योनियों का उल्लेख किया है, यह उपलक्षण है। इससे अन्यान्य भी जातिकुलकोटि समझना चाहिए। क्योंकि पक्षियों की बारह लाख, भुजपरिसर्प की नौ लाख, उरपरिसर्प की दश लाख, चतुष्पदों की दश लाख, जलचरों की साढे बारह लाख, चतुरिन्द्रियों की तो लाख, त्रीन्द्रियों की आठ लाख, द्वीन्द्रियों की सात लाख, पुष्पजाति की सोलह लाख-इनको मिलाने से साढे तिरान लाख होती हैं, अतः यहाँ जो चौरासी लाख योनियों का कथन किया गया है वह उपलक्षणमात्र है / अन्यान्य भी कुलकोटियां होती हैं। अन्यत्र कुलकोटियां इस प्रकार गिनाई हैंपृथ्वीकाय की 12 लाख, अपकाय की सात लाख, तेजस्काय की तीन लाख, वायुकाय की सात की अदावीस लाख, द्वीन्द्रिय की सात लाख, श्रीन्द्रिय की आठ लाख, चतरिन्द्रिय की नौ लाख, जलचर की साढे बारह लाख, स्थलचर की दस लाख, खेचर की बारह लाख, उरपरिसर्प की दस लाख, भुजपरिसर्प की नौ लाख, नारक की पच्चीस लाख, देवता की छब्बीस लाख, मनुष्य की बारह लाख–कुल मिलाकर एक करोड़ साढे सित्याणु लाख कुलकोटियां हैं। चौरासीलाख जीवयोनियों की परिगणना इस प्रकार भी संगत होती है, त्रस जीवों की जीवयोनियां 32 लाख हैं। वह इस प्रकार-दो लाख 32 लाख हैं। वह इस प्रकार-दो लाख द्वीन्द्रिय की, दो लाख श्रीन्द्रिय की, दो लाख चतुरिन्द्रिय की, चार लाख तिर्यपंचेन्द्रिय की, चार लाख नारक की, चार लाख देव की और चौदह लाख मनुष्यों की-ये कुल मिलाकर 32 त्रसजीवों की योनियां हैं। स्थावरजीवों की योनियां 52 लाख हैं-सात लाख पृथ्वीकाय की, सात लाख अप्काय की, 7 लाख तेजस्काय की, 7 लाख वायुकाय की, 24 लाख वनस्पति की-यों 52 लाख स्थावरजीवों की योनियां हैं। त्रस की 32 लाख और स्थावर की 52 लाख मिलकर 84 लाख जीवयोनियां हैं। विमानों के विषय में प्रश्न 99. अस्थि गं भंते ! विमाणाई' सोत्थियाणि सोत्थियावत्ताई सोत्थियपभाई सोत्थियकन्ताई, सोस्थियवन्नाइं, सोत्थियलेसाई सोत्थियज्झयाई सोत्थियसिंगाराई, सोस्थियकडाई, सोत्थियसिट्टाई सोस्थियउत्तरडिसगाई ? हंता अस्थि। 1. टीकाकार के अनुसार 'अच्चियाइं प्रच्चियावत्ताई' इत्यादि पाठ है / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org