________________ तृतीय प्रतिपत्ति : चमरेन्द्र की परिषद् का वर्णन] [329 चमरस्स गं भंते ! असुरिबस्स असुररणो अग्मितरियाए परिसाए देवाणं केवइयं ठिई पण्णता ? मनिलमियाए परिसाए. बाहिरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णता? अग्मितरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठितो पण्णता ? मज्झिमियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठितो पण्णता? बाहिरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिती पण्णता? ____गोयमा ! चमरस्स णं असुरिंदस्स असुररन्नो अभितरियाए परिसाए देवाणं अड्डाइज्जाई पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता, मज्झिमियाए परिसाए देवाणं दो पलिओक्माई ठिई पण्णत्ता / बाहिरियाए परिसाए देवाणं विवढं पलिपोवमं ठिई पण्णत्ता / अम्भितरियाए परिसाए देवीणं विवढं पलिओवमं ठिई पण्णत्ता, मझिमियाए परिसाए देवीणं पलिओवमं ठिई पण्णत्ता / बाहिरियाए परिसाए देवीणं अनुपलिओवमं ठिई पण्णत्ता। से केणठेणं भंते ! एवं बुच्चइ, चमरस्स असुरिक्स्स असुररन्नो तओ परिसाओ पण्णताओ, तं जहा–समिया चंडा जाया ? अम्भितरिया समिया, मजिामिया चंडा, बाहिरिया जाया? ___ गोयमा ! चमरस्स णं असुरिक्स्स असुररन्नो अम्भितरपरिसादेवा वाहिया हव्वमागच्छंति णो अग्वाहिया, मजिसमपरिसाए देवा वाहिया हव्यमामच्छंति अव्वाहिया वि, बाहिरपरिसा देवा अव्वाहिया हव्वमागच्छंति / अबुत्तरं च णं गोयमा ! चमरे असुरिने असुरराया अन्नयरेसु उच्चावएसु कज्जकोडुबेसु समुप्पन्नेसु अम्भितरियाए परिसाए सद्धि संमइसंपुच्छणाबहुले विहरइ, मज्झिमपरिसाए सद्धि पयं एवं पवंचेमाणं पवंचेमाणे विहरइ, बाहिरियाए परिसाए सद्धि पयंडेमाणे पयंडेमाणे विहरइ / से तेण?णं गोयमा ! एवं बच्चइ-चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो तो परिसाओ पण्णत्तानोसमिया चंडा जाया; अम्भितरिया समिया, मस्मिमिया चंडा, बाहिरिया जाया / [118] हे भगवन् ! असुरेन्द्र असुरराज चमर की कितनी परिषदाएँ कही गई हैं ? गौतम ! तीन पर्षदाएँ कही गई हैं, यथा-समिता, चंडा और जाता / प्राभ्यन्तर पर्षदा समिता कहलाती है / मध्यम परिषदा चंडा और बाह्य परिषदा जाया कहलाती है। हे भगवन् ! असुरेन्द्र असुरराज चमर की आभ्यन्तर पर्षदा में कितने हजार देव हैं ? मध्यम परिषदा में कितने हजार देव हैं और बाह्य परिषदा में कितने हजार देव हैं ? गौतम ! असुरेन्द्र असुरराज चमर की प्राभ्यन्तर परिषदा में चोवीस हजार देव हैं, मध्यम परिषदा में अट्ठावीस हजार देव हैं और बाह्य परिषदा में बत्तीस हजार देव हैं / हे भगवन् ! असुरेन्द्र असुरराज चमर को प्राभ्यन्तर परिषदा में कितनी देवियाँ हैं ? मध्यम परिषदा में कितनी देवियाँ हैं और बाह्य परिषदा में कितनी देवियाँ हैं ? हे गौतम ! असुरेन्द्र असुरराज चमर की प्राभ्यन्तर परिषद में साढे तीन सौ देवियाँ हैं, मध्यम परिषद् में तीन सौ और बाह्य परिषद् में ढ़ाई सौ देवियां हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org