________________ 428] [जीवाजीवाभिगमसूत्र बाद 10 प्रकार के कल्पवृक्षों का वर्णन है, इसके बाद वहाँ के मनुष्यों, स्त्रियों और स्त्री-पुरुष दोनों का सम्मिलित वर्णन है / इसके बाद आहार विषयक सूत्र है / इसके बाद गृहाकार वृक्षों का वर्णन है / इसके पश्चात् गृह, ग्राम, असि [शस्त्रादि], हिरण्य, राजा, दास, माता, अरि-वैरी, मित्र, विवाह, उत्सव नृत्य, शकट [गाडी आदि सवारी] का वहाँ अभाव है, ऐसा कहा गया है / तदनन्तर घोड़े, गाय, सिंह आदि पशुओं का अस्तित्व तो है परन्तु मनुष्यों के परिभोग में आने वाले या उन्हें बाधा पहुँचाने वाले नहीं हैं / इसके बाद शालि आदि के उपभोग के प्रतिषेधक सूत्र हैं, स्थाणु आदि के प्रतिषेधक सूत्र हैं, गर्त-डांस-मच्छर आदि के प्रतिषेधक सूत्र हैं, तदनन्तर सर्पादि हैं परन्तु बाधा देने वाले नहीं हैं ऐसा कथन किया गया है / तदनन्तर ग्रहों सम्बन्धी अनर्थ के अभाव, युद्धों के अभाव और रोगों के अभाव का कथन किया गया है / इसके बाद स्थिति, उद्वर्तना और अनुषजन [उत्पत्ति का कथन किया गया है। 148, कहिं णं भंते ! उत्तरकुराए कुराए जमगा नाम दुवे पव्वया पण्णता ? गोयमा ! नीलवंतस्स वासहरपब्वयस्स दाहिणणं अट्टचोत्तीसे जोयणसए चत्तारि य सत्त भागे नोयणस्स अबाहाए सीताए महाणईए (पुव्व-पच्छिमेणं) उभओ कले एत्थ गं उत्तरकुराए जमगा णामं दुवे पव्वया पण्णत्ता, एगमेगं जोयणसहस्सं उड्ढं उच्चत्तणं प्रडाइज्जाइं जोयणसयाणि उम्बेहेणं, मूले एगमेगं जोयणसहस्सं आयामविक्खंभेणं मज्झे प्रद्धट्टमाई जोयणसयाई आयाम-विक्खंभेणं, उरि चजोयणसयाई आयाम-विक्खंभेण मुले तिष्णि जोयणसहस्साई एगं च बाटि जोयणसयं किचि विसेसाहियं परिक्खेवेणं, मज्झे दो जोयणसहस्साई तिणि य बावत्तरे जोयणसए किचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णसे, उरि पन्नरसं एक्कासीए जोयणसए किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ते। मूले विच्छिण्णा मज्झे संखित्ता उप्पि तणुया गोपुच्छसंठाणसंठिया सबकणगमया अच्छा सहा जाव पडिरूवा / पत्तेयं पत्तेयं पउमवरवेइयापरिक्खित्ता, पत्तेयं पत्तेयं वणसंड परिक्खित्ता, वण्णओ दोण्ह वि। तेसि णं जमगपम्वयाणं उप्पि बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पण्णत्ते, वण्णओ जाव प्रासयंतिः। . तेसि णं बहुसमरमाणिज्जाणं भूमिभागाणं बहमनदेसभाए पसेयं पत्तेयं पासायव.सगा पण्णत्ता। ते णं पासायवडेंसगा बाट्रि जोयणाई अद्धजोयणं च उडढं उच्चत्तणं एकत्तीसं जोयणाई कोसं य विक्खंभेणं अम्भुग्गयमूसिया वष्णओ। भूमिभागा उल्लोया दो जोयणाई मणिपेढियाओ वरसीहासणा सपरिवारा जाब जमगा चिट्ठति / से केणठेणं भंते ! एवं बुच्चइ जमगा पम्वया जमगा पव्वया ? गोयमा ! जमगेसु पव्वएसु तत्थ तत्थ देसे तहि तहिं बहुईओखुड्डाखुड्डियाओ वावीओ जाव बिलपंतियासु, तासु णं खुड्डाखुड्डियासु जाव बिलपंतियासु बहूई उप्पलाई जाव सयसहस्सपत्ताई जमगप्पमाई जमगवण्णाई, जमगा य एत्थ दो देवा महिड्डिया जाव पलिओवमट्टिईया परिवसंति / ते गं तत्थ पत्तेयं पत्तेयं चउण्हं सामाणियसहस्सीणं जाव जमगाणं पध्वयाणं जमगाण य रायधाणीणं अण्णेसि च बहणं वाणमंतराणं देवाणं य देवीणं य आहेवच्चं जाव पालेमाणा विहरंति / से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ जमग पव्वया जमग पव्वया ! अदुत्तरं च णं गोयमा ! जाव णिच्चा / कहिं गं भंते ! जमगाणं देवाणं जमगाओ णाम रायहाणीओ पण्णताओ? गोयमा ! जमगाणं पव्वयाणं उत्तरेणं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वोइवइत्ता अण्णम्मि जंबुद्दीवे बोवे बारसजोयणसहस्साई ओगाहित्ता एत्थ णं जमगाणं देवाणं जमगाओ णाम रायहाणीओ पण्णत्ताओ वारस जोयणसहस्साओ जहा विजयस्स जाव महिड्डिया जमगा देवा जमगा देवा / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org