________________ तृतीय प्रतिपत्ति : उद्वर्तना] [251 उत्पन्न होते हैं ? क्या नैरयिकों में उत्पन्न होते हैं, तिर्यक्योनिकों में उत्पन्न होते हैं ? इस प्रकार उद्वर्तना कहनी चाहिए जैसी कि प्रज्ञापना के व्युत्क्रान्तिपद में कहा गया है वैसा यहाँ भी अधःसप्तमपृथ्वी तक कहना चाहिए। विवेचन–प्रस्तुत सूत्र में नैरयिकों की स्थिति और उद्वर्तना के विषय में प्रज्ञापनासूत्र के अनुसार वक्तव्यता जाननी चाहिए, ऐसा कहा गया है / प्रज्ञापना में क्या कहा गया है, वह यहाँ उल्लेखित किया जाना आवश्यक है / वह कथन इस प्रकार का है--- पृथ्वी का नाम जघन्य स्थिति उत्कृष्ट स्थिति रत्नप्रभा शर्कराप्रभा बालकाप्रभा पंकप्रभा धूमप्रभा तमःप्रभा तमस्तम:प्रभा दस हजार वर्ष एक सागरोपम तीन सागरोपम सात सागरोपम दस सागरोपम सत्रह सागरोपम बावीस सागरोपम एक सागरोपम तीन सागरोपम सात सागरोपम दस सागरोपम सत्रह सागरोपम तेतीस सागरोपम प्रस्तट के अनुसार स्थिति 1. रत्नप्रभा के 13 प्रस्तट हैं, उनकी स्थिति इस प्रकार है प्रस्तट जघन्य स्थिति (1) प्रथम प्रस्तट (2) दूसरा प्रस्तट (3) तीसरा प्रस्तट (4) चौथा प्रस्तट (5). पांचवां प्रस्तट ) छठा प्रस्तट सातवां प्रस्तट पाठवां प्रस्तट (9) नौवां प्रस्तट (10) दसवां प्रस्तट ग्यारहवां प्रस्तट (12) बारहवां प्रस्तट (13) तेरहवां प्रस्तट दस हजार वर्ष दस लाख वर्ष नब्बे लाख वर्ष पूर्वकोटि सागरोपम का दसवां भाग सागरोपम के दो दशभाग सागरोपम के तीन दशभाग सागरोपम के चार दशभाग सागरोपम के पांच दशभाग सागरोपम के छह दशभाग सागरोपम के सात दशभाग सागरोपम के आठ दशभाग सागरोपम के नौ दशभाग उत्कृष्ट स्थिति नब्बे हजार वर्ष नब्बे लाख वर्ष पूर्व कोटि सागरोपम का दसवां भाग सागरोपम के दो दशभाग सागरोपम के तीन दशभाग सागरोपम के चार दशभाग सागरोपम के पांच दशभाग सागरोपम के छह दशभाग सागरोपम के सात दशभाग सागरोपम के आठ दशभाग सागरोपम के नौ दशभाग सागरोपम के दस दशभाग अर्थात् पूरा एक सागरोपम - - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org