________________ तृतीय प्रतिपत्ति तिर्यग् अधिकार तृतीय प्रतिपत्ति के नरकोद्देशक में तीन उद्देशक कहे गये हैं। उक्त तीन उद्देशकों में नरक और नारक के सम्बन्ध में विविध प्रकार की जानकारियां दी गई हैं। चार प्रकार के संसारसमापनक जीवों की प्रतिपत्ति में प्रथम भेदरूप नारक का वर्णन करने के पश्चात अब क्रमप्राप्त तिर्यञ्चों का अधिकार कहते हैंतिर्यक्योनिकों के भेद 96. [1] से कि तं तिरिक्खजोगिया? तिरिक्खजोणिया पंचविहा पण्णता, तंजहा एगिदिय-तिरिक्खजोणिया, बेईविय-तिरिक्खजोणिया, तेइंदिय-तिरिक्खजोणिया, चरिवियतिरिक्खजोणिया, पंचिदिय-तिरिक्खजोणिया। से कि सं एगिदिय-तिरिक्खजोणिया? एगिदिय-तिरिक्खजोणिया पंचविहा पण्णत्ता, तंजहापुढविकाइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणिया जाव वणस्सइकाइय-एगिविय-तिरिक्खजोणिया / से कि तं पुढविकाइय-एगिदिय-तिरिक्खजोणिया? / पुढविकाइया दुविहा पण्णता, तिंजहा-सुहमपुढविकाइयएगिदियतिरिक्खजोणिया, बादरपुढविकाइयएगिदियतिरिक्खजोणिया य।। से कि तं सुहम पुढ विकाइय एगिविय तिरिक्खजोणिया? सुहुम पुढविकाइय एगिदिय० दुविहा पण्णत्ता, तंजहापज्जत्त सुहुम० अपज्जत सुहम पुढवि० / से तं सुहुमा। से किं तं बादर पुढविकाइय० ? बादर पुढविकाइय० दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-पज्जत्त बादर पु०, अपज्जत्त बादर पुढ विकाइय एगिदिय तिरिक्खजोणिया। से तं पुढधिकाइय एगिदिया। से कि तं आउक्काइय एगिदिय तिरिक्खजोणिया? आउक्काइय एगिदिय० दुविहा पणत्ता, एवं जहेव पुढविकाइयाणं तहेब चउक्कमो मेदो जाव वणस्सइकाइया / से तंवणस्सइकाइयएगिदिया / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org