________________ प्रथम प्रतिपत्ति: बादर बनस्पतिकायिक] [59 कंद, स्कंध, त्वचा, शाखा, प्रवाल, पत्ते ये प्रत्येक-एक-एक जीव वाले हैं, इनके फूल अनेक जीव वाले हैं, फल एक बीज वाले हैं / यह एक बीज वाले वृक्षों का वर्णन हुआ। बहुबोज वृक्ष कौन से हैं ? बहबीज वृक्ष अनेक प्रकार के हैं, जैसे-अस्तिक, तेंदुक, अम्बर, कबीठ, प्रांवला, पनस, दाडिम, न्यग्रोध, कादुम्बर, तिलक, लकुच (लवक), लोध्र, धव और अन्य भी इस प्रकार के वृक्ष / इनके मूल असंख्यात जीव वाले यावत् फल बहुबीज वाले हैं / यह बहुबीजक का वर्णन हुआ / इसके साथ ही वृक्ष का वर्णन हुआ / इस प्रकार जैसा प्रज्ञापना में कहा वैसा यहाँ कहना चाहिए, यावत्-'इस प्रकार के अन्य भी' से लेकर 'कुहण' तक / गाथार्थ-वृक्षों के संस्थान नाना प्रकार के हैं। ताल, सरल और नारीकेल वृक्षों के पत्ते और स्कंध एक-एक जीव वाले होते हैं / जैसे श्लेष (चिकने) द्रव्य से मिश्रित किये हुए प्रखण्ड सरसों की बनाई हुई बट्टी एकरूप होती है किन्तु उसमें वे दाने अलग-अलग होते हैं। इसी तरह प्रत्येकशरीरियों के शरीरसंघात होते हैं। __ जैसे तिलपपड़ी में बहुत सारे अलग-अलग तिल मिले हुए होते हैं उसी तरह प्रत्येकशरीरियों के शरीरसंघात अलग-अलग होते हुए भी समुदाय रूप होते हैं। यह प्रत्येकशरीर बादरवनस्पतिकायिकों का वर्णन हुआ। विवेचन-बादर नामकर्म का उदय जिनके है वे वनस्पतिकायिक जीव बादर वनस्पतिकायिक कहलाते हैं / इनके दो भेद हैं--प्रत्येकशरीरी और साधारणशरीरी। जिन जीवों का अलगअलग शरीर है वे प्रत्येकशरीरी हैं और जिन जीवों का सम्मिलित रूप से शरीर है, वे साधारणशरोरी हैं / इन दो सूत्रों में बादर वनस्पतिकायिक जीवों का वर्णन किया गया है। बादर प्रत्येकशरीरी वनस्पतिकायिक के 12 प्रकार कहे गये हैं / वे इस प्रकार हैं(१) वृक्ष-नीम, आम आदि (2) गुच्छ-पौधे रूप बैंगन आदि (3) मुल्म-पुष्पजाति के पौधे नवमालिका आदि (4) लता-वृक्षादि पर चढ़ने वाली लता, चम्पकलता आदि (5) वल्ली-जमीन पर फैलने वाली वेलें, कष्माण्डो, अपुषी मादि (6) पर्वग-पौर-गांठ वाली वनस्पति, इक्षु आदि (7) तृण-दूब, कास, कुश आदि हरी घास (8) वलय-जिनकी छाल गोल होती है, केतकी, कदली आदि (9) हरित-बथुप्रा आदि हरी भाजी (10) औषधि-गेहूं आदि धान्य जो पकने पर सूख जाते हैं (11) जलसह-जल में उगने वाली वनस्पति, कमल, सिंघाड़ा आदि (12) कुहण-भूमि को फोड़कर उगने वाली वनस्पति, जैसे कुकुरमुत्ता (छत्राक) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org