________________ 188] [नोवानीवाभिगमसूत्र उनसे पृथ्वीकायिक एके. ति. यो. नपुसक विशेषाधिक, उनसे अपकायिक एके. ति. यो. नपुसक विशेषाधिक, उनसे वायुकायिक एके. ति. यो. नपुसक विशेषाधिक, उनसे वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक नपुसक अनन्तगुण हैं / (7) हे भगवन् ! इन मनुष्यस्त्रियों में कर्मभूमिक स्त्रियों, अकर्मभूमिक स्त्रियों और अन्तरर्दीपिक मनुष्यस्त्रियों में, मनुष्यपुरुषों-कर्मभूमिक, अकर्मभूमिक और अन्तरर्दीपकों में, मनुष्य नपुंसक-कर्मभूमिक, अकर्मभूमिक और अन्तरर्दीपिक नपुंसकों में कौन किससे कम, अधिक, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? ___गौतम ! अन्तरर्दीपिक मनुष्यस्त्रियां और मनुष्यपुरुष-ये दोनों परस्पर तुल्य और सबसे थोड़े हैं, ___ उनसे देवकुरु-उत्तरकुरु अकर्मभूमिक मनुष्य स्त्रियां और मनुष्यपुरुष-ये दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुण हैं, उनसे हरिवर्ष-रम्यकवर्ष अकर्मभूमिक मनुष्यस्त्रियां और मनुष्यपुरुष परस्पर तुल्य और संख्यातगुण हैं, उनसे हैमवत-हैरण्यवत अकर्मभूमिक मनुष्यस्त्रियां और मनुष्यपुरुष परस्पर तुल्य और संख्यातगुण हैं, उनसे भरत-ऐरवत-कर्मभूमिक मनुष्यपुरुष दोनों संख्यातगुण हैं, उनसे भरत-ऐरवत-कर्मभूमिक मनुष्यस्त्रियां दोनों संख्यातगुण हैं, उनसे भरत-ऐरवत-कर्मभूमिक मनुष्यपुरुष दोनों संख्यातगुण हैं, उनसे पूर्वविदेह-पश्चिमविदेह कर्मभूमक मनुष्यपुरुष दोनों संख्यातगुण है, उनसे पूर्वविदेह-पश्चिमविदेह कर्मभूमक मनुष्यस्त्रियां दोनों संख्यातगुणी हैं, उनसे अन्तरर्दीपिक मनुष्यनपुंसक असंख्यातगुण हैं, उनसे देवकुरु-उत्तरकुरु अकर्मभूमिक मनुष्य नपुंसक दोनों संख्यातगुण हैं, इसी तरह यावत् पूर्वविदेहकर्मभूमिक मनुष्यनपुंसक, पश्चिमविदेह कर्मभूमिक मनुष्यनपुंसक दोनों संख्यातगुण हैं। (8) भगवन् ! इन देव स्त्रियों में, भवनवासिनियों में, वाणव्यन्तरियों में, ज्योतिषीस्त्रियों में और वैमानिकस्त्रियों में, देवपुरुषों में भवनवासी यावत् वैमानिकों में, सौधर्मकल्प यावत् ग्रैवेयक देवों में अनुत्तरोपपातिक देवों में, नरयिक नपुंसकों में-रत्नप्रभा नैरयिक नपुंसकों यावत् अधःसप्तमपृथ्वी नैरयिक नपुंसकों में कौन किससे कम, अधिक, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े अनुत्तरोपपातिक देवपुरुष, उनसे उपरिम वेयक देवपुरुष संख्यातगुण, इसी तरह यावत् प्रानतकल्प के देवपुरुष संख्यातगुण, उनसे अधःसप्तमपृथ्वी के नैरयिक नपुसक असंख्यातगुण, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org