________________ 126] [जीवाजीवाभिगमसूत्र भवणवासिदेवित्थीणं भंते ? जहन्नेणं दसवाससहस्साई, उक्कोसेणं अद्ध पंचमाई पलिओवमाइं। एवं असुरकुमार-भवणवासि-देवित्थियाए, नागकुमार-भवणवासि-देवित्थियाए वि जहन्नेणं दसवाससहस्साई उक्कोसेणं देसूणाई पलिओवमाई, एवं सेसाण वि जाव थणियकुमाराणं। वाणमंतरीणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई उक्कोसं अखपलिओवमं / जोइसियदेवित्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? गोयमा ! जहन्नेणं पलिओवमं अट्ठभागं उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पण्णासाएहि वाससहस्सेहि अम्भहियं / चंदविमाण-जोतिसिय / देवित्थियाए जहन्नेणं चउभागपलिओवम उक्कोसेणं तं चेव / सूरबिमाण-जोतिसिय-देविस्थियाए जहन्नेणं चउभागपलिनोवम उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पंचहि वाससएहि अब्भहियं / गहविमाण-जोतिसिय-देवित्थीणं जहन्नेणं चउभागपलिओवमं उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं / णक्खत्तविमाण-जोतिसिय-देवित्थीणं जहण्णेणं चउभागपलिओवम उक्कोसेणं चउभागपलिओवमं साइरेग। ताराविमाण-जोति सिय-देवित्थियाए जहन्नेणं अट्ठभाग पलिओवम उक्कोसेणी सातिरेगं अट्ठभागपलिओवमं। वेमाणिय-देवित्यिाए जहन्नेणं पलिओवम उक्कोसेणं पणपन्नं पलिओवमाइं। सोहम्मकप्पवेमाणिय-देविस्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिती पण्णसा?. गोयमा ! जहणणं पलिओवम उक्कोसेणं सत्त पलिभोवमाइं / ईसाण-देवित्थोणं जहणणं सातिरेगं पलिग्रोवम उक्कोसेणं णव पलिओवमाइं। [47] (3) हे भगवन् ! देवस्त्रियों की कितने काल की स्थिति है ? गौतम ! जघन्य से दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट से पचपन पल्योपम की स्थिति कही गई है। भगवन् ! भवनवासीदेवस्त्रियों की कितनी स्थिति है ? गौतम ! जघन्य दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट साढे चार पल्योपम / इसी प्रकार असुरकुमार भवनवासी देवस्त्रियों की, नागकुमार भवनवासी देवस्त्रियों की जघन्य दस दजार वर्ष और उत्कृष्ट देशोनपल्योपम की स्थिति जाननी चाहिए / इसी प्रकार शेष रहे सुपर्णकुमार प्रादि यावत् स्तनितकुमार देव स्त्रियों की स्थिति जाननी चाहिए। वानव्यन्तरदेबस्त्रियों की जघन्य स्थिति दस हजार वर्ष उत्कृष्ट स्थिति प्राधा पल्योपम की है। भंते ! ज्योतिष्कदेवस्त्रियों की स्थिति कितने समय की कही गई है ? गौतम ! जघन्य से पल्योपम का आठवां भाग और उत्कृष्ट से पचास हजार वर्ष अधिक प्राधा पल्योपम है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.