________________ 164] [जीवाजीवाभिगमसूत्र [59] भंते ! नपुंसक क्या हैं कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! नपुंसक तीन प्रकार के हैं, यथा-१ नैरयिक नपुंसक, 2 तिर्यक्योनिक नपुंसक और 3 मनुष्ययोनिक नपुंसक। नरयिक नपुंसक कितने प्रकार के हैं ? नैरयिक नपुंसक सात प्रकार के हैं, यथा-रत्नप्रभापृथ्वी नरयिक नपुंसक, शर्कराप्रभापृथ्वी नैरयिक यावत् अधःसप्तमपृथ्वी नैरयिक नपुंसक। तिर्यंचयोनिक नपुंसक कितने प्रकार के हैं ? तिर्यंचयोनिक नपुंसक पांच प्रकार के हैं, यथा-एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक नपुंसक, द्वीन्द्रिय, तिर्यंचयोनिक नपुंसक, श्रीन्द्रिय तिर्यक्योनिक नपुंसक, चतुरिन्द्रिय तिर्यक्योनिक नपुंसक और पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक नपुंसक / एकेन्द्रिय तिर्यक्योनिक नपुंसक कितने प्रकार के हैं ? एकेन्द्रिय तिर्यक्योनिक नपुंसक पांच प्रकार के हैं, यथा पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यक्योनिक नपुंसक यावत् वनस्पतिकायिक तिर्यक्योनिक नपुंसक। यह एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक नपुंसक का अधिकार हुआ। भंते ! द्वीन्द्रिय तिर्यकयोनिक नपुंसक कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! अनेक प्रकार के हैं। यह द्वीन्द्रिय तिर्यक्योनिक नपुंसक का अधिकार हुमा / इसी प्रकार त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय का कथन करना / पंचेन्द्रिय तिर्यक्योनिक नपुसक कितने प्रकार के हैं ? वे तीन प्रकार के हैं-जलचर, स्थलचर और खेचर / जलचर कितने प्रकार के हैं ? वही पूर्वोक्त भेद प्रासालिक को छोड़कर कहने चाहिए। ये पंचेन्द्रिय तिर्यक्योनिक नपुसक का अधिकार हुआ। भंते ! मनुष्य नपुंसक कितने प्रकार के हैं ? वे तीन प्रकार के हैं, यथा--कर्मभूमिक, अकर्मभूमिक और अन्तरर्दीपिक पूर्वोक्त भेद कहने चाहिए / विवेचन--पुरुष सम्बन्धी वर्णन पूरा करने के पश्चात् शेष रहे नपुसक के सम्बन्ध में यहाँ भेद-प्रभेद सहित निरूपण किया गया है। नपुंसक के तीन भेद गति की अपेक्षा हैं-नारकनपुसक, नियंञ्चनपुसक और मनुष्यनपुसक / देव नपुंसक नहीं होते / नारक नपुंसकों के नारकपृथ्वियों की अपेक्षा से सात भेद बताये हैं.-१. रत्नप्रभापृथ्वीनारक नपुंसक, 2. शर्कराप्रभापृथ्वीनारक नपुसक, 3. बालुकाप्रभापृथ्वीनारक नपुंसक, 4. पंकप्रभापृथ्वीनारक नपुसक, 5. धूमप्रभापृथ्वीनारक नपुंसक, 6. तमःप्रभापृथ्वीनारक नपुसक और 7. अधःसप्तमपृथ्वीनारक नपुसक / तिर्यक्योनिक नपुंसक के जाति की अपेक्षा से पांच भेद बताये हैं-एकेन्द्रियजाति नपुसक, द्वीन्द्रियजाति नपुसक, त्रीन्द्रियजाति नपुसक, चतुरिन्द्रियजाति नपुंसक और पंचेन्द्रियजाति नपुसक / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org