________________ 168] [जीवाजीवाभिगमसूत्र मनुष्य नपुंसकों की स्थिति मनुष्य नपुंसकों के मेव जघन्य उत्कृष्ट 1. समुच्चय मनुष्य नपुसक अन्तर्मुहूर्त पूर्वकोटि 2. कर्मभूमि मनुष्य नपुसक क्षेत्र से पूर्वकोटि 3. कर्मभूमि मनुष्य नपुसक धर्माचरण से देशोन पूर्वकोटि 4. भरत-एरवत कर्म. म. न. क्षेत्र से पूर्वकोटि ,, , ,धर्माचरण से देशोन पूर्वकोटि 6. पूर्वविदेह मनुष्य नपु. क्षेत्र से पूर्वकोटि 7. पश्चिमविदेह मनुष्य नपु. धर्माचरण से देशोन पूर्वकोटि 8. अकर्मभूमि मनुष्य नपुसक (जन्म से) (केवल संमूछिम होते हैं, गर्भज नहीं / युगलियों में नपुंसक नहीं होते) बृहत्तर अन्तर्मुहूर्त 9. अकर्मभूमि मनुष्य नपुसक संहरण से देशोन पूर्वकोटि 10. हैमवत हैरण्यवत म. नपुसक जन्म से बृहत्तर अन्तर्मुहूर्त // संहरण से देशोन पूर्वकोटि 12. हरिवर्ष रम्यकवर्ष म. नपुसक जन्म से बृहत्तर अन्तर्मुहूर्त 13. , , संहरण से देशोन पूर्वकोटि 14. देवकुरु उत्तरकुरु म. नपुसक जन्म से बृहत्तर अन्तर्मुहूर्त 15. , , संहरण से , देशोन पूर्वकोटि इस प्रकार नारक नपुसक, तिर्यक् नपुसक और मनुष्य नपुंसकों की स्थिति बताई गई है। कायस्थिति (नपुंसकों को संचिट्ठणा) 59. [2] णसए णं भंते ! णपुंसए ति कालओ केवञ्चिरं होइ ? गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं तरुकालो। रइय णपुसए णं भंते !* ? गोयमा ! जहन्नेणं वसवाससहस्साई, उक्कोसेणं तेत्तीस सागरोवमाइं / एवं पुढवीए ठिई भाणियव्वा / तिरिक्खजोणिय णपुसए णं भंते ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सइकालो / एवं एगिदिय णपुंसकस्स, वणस्सहकाइयस्स वि एवमेव / सेसाणं जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं असंखिज्जं कालं, असंखेज्जाओ उस्सप्पिणि-प्रोसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ असंखेज्जा लोया। बेइंदिय तेइंदिय चरिदिय नपुसकाण य जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेज्जं कालं / पंचिदिय तिरिक्खजोणिय नपुसकाणं णं भंते ! * ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org