Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________ द्वितीय प्रतिपत्ति : नपुंसक निरूपण] [163 से कि तं नेरइयनपुंसका? नेरइयनपुसका सत्तविहा पण्णत्ता, तंजहारयणप्पभापुढधिनेरइयनपुंसका, सक्करपमापुढविनेरइयनपुंसका, जाव अहेसत्तमपुढविनेरइयनपुसका। से तं नेरइयनपुंसका। से कि तं तिरिक्खजोणियनपुंसका? तिरिक्खजोणियनपुसका पंचविहा पण्णत्ताएगिदियतिरिक्खजोणियनपुंसका, बेइंदियतिरिक्खजोणियनपुंसका, तेइंदियतिरिक्खजोणियनपुसका, चरिदियतिरिक्खजोणियनपुंसका, पंचिदियतिरिक्खजोणियनपुसका। से कि तं एगिन्दियतिरिक्खजोणियनपुंसका? एगिदियतिरिक्खजोणियनपुसका पंचविहा पण्णता, तंजहापुढविकाइयएगिदियतिरिक्खजोणियनसका जाव वणस्सइकाइयतिरिक्खजोणियनपुसका। से तं एगिदियतिरिक्खजोणियनपुंसका। से कि तं बेइंदियतिरिक्खजोणियनपुंसका? बेइंदियतिरिक्खजोणियनपुंसका अणेगविहा पण्णत्ता। से तं बेइंदियतिरिक्खजोणियनसका। एवं तेइंदिया वि, चरिंदिया वि / से कि तं पंचिदियतिरिक्खजोणियनपुंसका ? पंचिदियतिरिक्खजोणियनपुंसका ति विहा पण्णता, तंजहा-- जलयरा, थलयरा, खहयरा। से कि तं जलयरा? सो चेव पुव्युत्तभेदो आसालियवज्जिओ भाणियव्यो। से तं पंचिदियतिरिक्खजोणियनपुंसका। से कि तं मणुस्सनपुंसका? मणुस्सनपुंसका तिविहा पण्णत्ता, तंजहाकम्मभूमगा, अफम्मभूमगा, अंतरदीवगा भेदो जाव भाणियब्यो। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org