________________ 142] [जीवाजीवाभिगमसूत्र खहयरतिरिक्खजोणित्थियाओ असंखेज्जगुणाणो, थलयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखिज्जगुणाओ, जलयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखिज्जगुणाओ, वाणमंतरदेवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ, जोइसियदेवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ। [50] (1) हे भगवन् ! इन तिर्यक्योनिक स्त्रियों में, मनुष्यस्त्रियों में और देवस्त्रियों में कौन किससे अल्प है, अधिक है, तुल्य है या विशेषाधिक है ? गौतम ! सबसे थोड़ी मनुष्यत्त्रियां, उनसे तिर्यक्योनिक स्त्रियां असंख्यातगुणी, उनसे देवस्त्रियां असंख्यातगुणी हैं। (2) भगवन् ! इन तिर्यक्योनि की जलचरी, स्थलचरी और खेचरी में कौन किससे अल्प, अधिक, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़ी खेचर तिर्यक्योनि की स्त्रियाँ, उनसे स्थलचर तिर्यक्योनि की स्त्रियां संख्यात गुणी, उनसे जलचर तिर्यक्योनि की स्त्रियां संख्यातगुणी हैं। (3) हे भगवन् ! कर्मभूमिक, अकर्मभूमिक और अंतरद्वीप की मनुष्य स्त्रियों में कौन किससे अल्प, अधिक तुल्य या विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़ी अंतर्वीपों की मनुष्यस्त्रियां, उनसे देवकुरु-उत्तरकुरु-अकर्मभूमि की मनुष्य स्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं, उनसे हरिवास-रम्यकवास-अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं, उनसे हेमवत और एरण्यवत अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं, उनसे भरत-एरवत क्षेत्र की कर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं, उनसे पूर्वविदेह-पश्चिमविदेह कर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी हैं। (4) भगवन् ! भवनवासी, वानव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवस्त्रियों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं। गौतम ! सबसे थोड़ी वैमानिक देवियां, उनसे भवनवासी देवियां असंख्यातगुणी, उनसे वानव्यन्तरदेवियां असंख्यातगुणी, उनमें ज्योतिष्कदेवियां संख्यातगुणी हैं। (5) हे भगवन् ! तिर्यंचयोनि की जलचरी, स्थलचरी, खेचरी और कर्मभूमिक, अकर्मभूमिक और अन्तर्वीप की मनुष्यस्त्रियां और भवनवासी, वानव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवियों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं। गौतम ! सबसे थोड़ी अकर्मभूमि की अन्तीपों की मनुष्यस्त्रियां, उनसे देवकुरु-उत्तरकुरु की अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी; उनसे / हरिवास-रम्यकवास अकर्मभूमि की मनुष्यस्त्रियां दोनों परस्पर तुल्य और संख्यातगुणी, उनसे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org