________________ द्वितीय प्रतिपत्ति : स्त्रियों का वर्णन] [121 चंदविमाणजोइसियदेवित्थियाओ, सूर० गह० नक्खत्त० ताराविमाणजोइसियदेवित्यियाओ। से तं जोइसियाओ। से कि तं वेमाणियदेवित्थियाओ? वेमाणियदेवित्थियात्रों दुविहानो पण्णताओ, तंजहा-- सोहम्मकप्पवेमाणियदेवित्थियाओ, ईसाणकल्पवेमाणियदेवित्थियाओ से तं वेमाणियदेवित्थियाओ। [3] देवस्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? देवस्त्रियां चार प्रकार की हैं। यथा 1. भवनपतिदेवस्त्रियां, 2. वानव्यन्तरदेवस्त्रियां, 3. ज्योतिष्कदेवस्त्रियां और 4. वैमानिकदेवस्त्रियां / भवनपतिदेवस्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? भवनपतिदेवस्त्रियां दस प्रकार की हैं / यथा असुरकुमार-भवनवासी-देवस्त्रियां यावत् स्तनितकुमार-भवनवासी-देवस्त्रियां। यह भवनवासी देवस्त्रियों का वर्णन हुआ। वानव्यन्तरदेवस्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? वानव्यन्तरदेवस्त्रियां आठ प्रकार की हैं / यथा--- पिशाचवानव्यन्तरदेव स्त्रियां यावत् गन्धर्ववानव्यन्तरदेवस्त्रियां / यह वानव्यन्तरदेवस्त्रियों का वर्णन हुआ। ज्योतिष्कदेवस्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? ज्योतिष्कदेवस्त्रियां पांच प्रकार की हैं / यथा चन्द्रविमान-ज्योतिष्क देवस्त्रियां, सूर्यविमान-ज्योतिष्क देवस्त्रियां, ग्रहविमान-ज्योतिष्क देवस्त्रियां, नक्षत्रविमान-ज्योतिष्क देवस्त्रियां और ताराविमान-ज्योतिष्क देवस्त्रियां / यह ज्योतिष्क देवस्त्रियों का वर्णन हुआ। वैमानिक देवस्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? वैमानिक देवस्त्रियां दो प्रकार की हैं / यथा सौधर्मकल्प-वैमानिक देवस्त्रियां और ईशानकल्प-वैमानिक देव स्त्रियां / यह वैमानिक देवस्त्रियों का वर्णन हुआ। विवेचन-प्रस्तुत सूत्र में स्त्रियों का वर्णन किया गया है। चार गतियों में से नरकगति में स्त्रियां नहीं हैं क्योंकि नारक केवल नपुंसकवेद वाले ही होते हैं / अतएव शेष तीन गतियों में-तियंच, मनुष्य और देवगति में स्त्रियां हैं। इसलिए सूत्र में कहा गया है कि तीन प्रकार की स्त्रियां हैंतियंचस्त्री, मनुष्यस्त्री और देवस्त्री। तियंचगति में भी एकेन्द्रिय से चतुरिन्द्रिय और असंज्ञी पंचेन्द्रिय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org