Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________ द्वितीय प्रतिपति: स्त्रियों का वर्णन] [119 : तिर्यंचयोनिक स्त्रियां तीन प्रकार की हैं। जैसे कि-१ जलचरी, 2, स्थलचरी और 3 खेचरी। जलचरी स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? जलचरी स्त्रियां पांच प्रकार की हैं / यथा-मत्स्यी यावत् संसुमारी। स्थलचरी स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? स्थलचरी स्त्रियां दो प्रकार की हैं-चतुष्पदी और परिसी। चतुष्पदी स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? चतुष्पदी स्त्रियां चार प्रकार की हैं / यथा-एकखुर वाली यावत् सनखपदी / परिसपी स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? परिसी स्त्रियां दो प्रकार की हैं / यथा-उरपरिसी और भुजपरिसी / उरपरिसी स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? उरपरिसी स्त्रियां तीन प्रकार की हैं / यथा-१ अहि, 2 अजगरी और 3 महोरगी। यह उरपरिसी स्त्रियों का कथन हुआ। भुजपरिसी स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? भुजपरिसी स्त्रियां अनेक प्रकार की कही गई हैं, यथा-गोधिका, नकुली, सेधा, सेला, सरटी (गिरगिटी), शशकी, खारा, पंचलौकिक, चतुष्पदिका, मूषिका, मुंगुसिका (टाली), घरोलिया (छिपकली), गोल्हिका, योधिका, वीरचिरालिका आदि भुजपरिसी स्त्रियां हैं। खेचरी स्त्रियां कितने प्रकार की हैं ? खेचरी स्त्रियां चार प्रकार की हैं / यथा-चर्मपक्षिणी यावत् विततपक्षिणी। यह खेचरी स्त्रियों का वर्णन हुआ। इसके साथ ही तिर्यचस्त्रियों का वर्णन भी पूरा हुआ। [2] से कि तं मस्सिस्थीयो ? मणुस्सिस्थीओ तिविहाओ पण्णत्ताओ, तंजहा१. कम्मभूमियाओ, 2. अकम्मभूमियाओ, 3. अंतरवोवियाओ। से कि तं अंतरवीवियाओ? अंतरवीवियाओ अट्ठावीसइविहाओ पण्णत्ताओ, तंजहाएगोरइयाओ आभासियामो जाव सुद्धरतीओ / से तं अंतरवीवियाओ। से कि तं प्रकम्मभूमियाओ? अकम्मभूमियानो तीसविहाओ पण्णताओं तंजहा-- पंचसु हेमवएसु, पंचसु एरण्णवएसु, पंचसु हरिवासेसु, पंचसु रम्मगवासेसु, पंचसु देवकुरासु, पंचसु उसरकुरासु / से सं अकम्मभूमियाओ। से कि तं कम्मभूमियामो? कम्मभूमियाओ पण्णरसविहाओ पण्णासाओ, तंजहा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org