________________ प्रथम प्रतिपत्ति : स्थलचरों का वर्णन] इस प्रकार ये जीव चारों गतियों में जाने वाले और दो गतियों से आने वाले हैं। हे श्रमण ! हे आयुष्मन् / ये जीव प्रत्येकशरीरी हैं और असंख्यात हैं। स्थलचरों का वर्णन 36. से कि तं थलयर-समुच्छिमपंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया? थलयर संमु० दुविहा पण्णत्ता, तंजहाचउप्पय थल०, परिसप्प सम्मु. पंचे तिरिक्खजोणिया। से कि तं थलयर चउप्पय सम्मुच्छिम पंचे तिरिक्खजोणिया ? थलयर चउप्पय० चउम्विहा पण्णत्ता, तंजहा एगखुरा, दुखुरा, गंडोपया, सणप्फया / जाव जे यावष्णे तहप्पगारा ते समासओ दुविहा पण्णता, तंजहा-पज्जता य अपज्जत्ता य। तओ सरीरा, ओगाहणा जहण्णणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेणं गाउयपुहत्तं / ठिई जहण्णणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं चउरासिइवाससहस्साई। सेसं जहा जलयराणं जाव चउगतिया दो आगतिया परित्ता असंखेज्जा पेण्णत्ता। से तं थलयर चउप्पय० / से कि तं थलयर परिसप्प समुच्छिमा ? थलयर परिसप्प संमुच्छिमा दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-- उरग परिसप्प समुच्छिमा, भुयग परिसप्प समुच्छिमा। से कि तं उरग परिसप्प समुच्छिमा ? उरग परि० सं० चउम्विहा पण्णत्ता, तंजहा-- अही अयगरा आसालिया महोरगा। से कि तं अही? अही दुविहा पण्णत्ता, तंजहादव्वीकरा, मउलिणोय। से कि तं दध्वीकरा? दव्वीकरा अणेगविहा पण्णत्ता, तंजहाआसोविसा जाव से तं दग्वीकरा। से कि तं मउलिणो? मउलिको प्रगविहा पण्णत्ता, तंजहादिग्वा, गोणसा जाव से तं मउलिणो / से तं मही। से कि तं अयगरा? अयगरा एगागारा पण्णत्ता। सेतं अयगरा। से कितं आसालिया ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org