Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ प्रथम प्रतिपत्ति : पृथ्वीकाय का वर्णन] [51 ये सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीव देवों और नारकों से आकर उत्पन्न नहीं होते। केवल तिर्यंचों और मनुष्यों से ही आकर उत्पन्न होते हैं, अत: ये जीव दो आगति वाले हैं / परीत-ये सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीव प्रत्येकशरीरी हैं, असंख्येय लोकाकाश प्रमाण हैं। इस प्रकार सब तीर्थंकरों ने प्रतिपादित किया है। समणाउसो-हे श्रमण ! हे आयुष्मान् ! इस प्रकार सम्बोधन कर जिज्ञासुत्रों के समक्ष प्रभु महावीर ने सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीवों के स्वरूप का प्रतिपादन किया। बावर पृथ्वीकाय का वर्णन 69788 14. से कितं बायरपुढविकाइया? बायरपुढ विकाइया दुविहा पण्णत्ता--- तं जहा-सह बायरपुढविकाइयाय खर बायरपुढविकाइया य / [14] बादर पृथ्वीकायिक क्या हैं ? बादर पृथ्वीकायिक दो प्रकार के हैंयथा-श्लक्ष्ण (मृदु) बादर पृथ्वीकाय और खर बादर पृथ्वीकाय / 15. से किं तं सह बायरपुढवीकाइया ? सह बायरपुढवीकाइया सत्तविहा पण्णत्ता तं जहा-कहमत्तिया, मेवो जहा पग्णवणाए जाव ते समासओ दुविहा पण्णता, तं जहा--- पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य / तेसि णं भंते ! जीवाणं कति सरीरगा पण्णता? गोयमा! तो सरीरगा, पण्णता, तं जहा-ओरालिए, तेयए, कम्मए / तं चेव सम्वं नवरं चत्तारि लेसाओ अवसेसं जहा सुहुमपुढविक्काइयाणं पाहारो जाव णियमा छहिसि / / उवधानो तिरिक्खजोणिय मणुस्स देवेहितो, देवेहिं जाव सोहम्मेसाणेहितो। ठिई जहानेणं अंतोमहत्तं उपकोसेण बायोसंवाससहस्साई। ते णं भंते ! जीवा मारणंतियसमुग्धाएणं किं समोहया मरंति असमोहया मरंति ? गोयमा ! समोहया कि मरंति असमोहया वि मरंति / ते गं भंते ! जीवा अणंतरं उम्वट्टित्ता कहिं गच्छंति, कहि उववज्जति ? कि नेरइएस उववज्जति ? पुच्छा। नो नेरइएसु उववज्जति, तिरिक्खजोगिएसु उववज्जति, मणुस्सेसु उववअंति, नो देवेसु उववज्जंति, तं चेव जाव असंखेज्जवासा उवज्जेहि। ते णं भंते ! जीवा कतिगतिया कतिआगतिया पण्णता? गोयमा ! दुगतिया, तिआगतिया परित्ता प्रसंखेज्जा य समजाउसो ! से तं बायरपुढ विक्काइया / से तं पुढ विक्काइया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org