Book Title: Padmapuran Bhasha
Author(s): Digambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
Publisher: Digambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobetirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पन
| ने रावधाका स्थ इन्द्र के सन्मुख किया रावणका देख इन्द्र के सब सुभट भागे सवपसे युद्धकरने को कोई ॥ uRM
समर्थ नहीं रावण सर्वको दयालु दृष्टिकार कीठसमान देखे रावणके सन्मुख सह इन्द्रही किा और सष । कृत्रिम देव इसका छत्र देख भाज गये जैसे चन्द्रमाके उदयसे अन्धकारजातारहे कैसाहै रावण येरियोंकर । झेला न जाय जैसे जलका प्रवाह दाहोकर थांभा न जाय और जैसे क्रोष सहित चित्तका वेग मिभ्या दृष्टि तापसियोंकर थांभा न जाय तैसे सामन्तोंकर रावण थांभा न जायइन्द्रभी कैलाशपर्वच समान हाथी पर चढ़ा धनुषको घरे तरकश से तीर काढ़ता रावण के सन्मुख भागा कानतक धनुषकोखेंच रावण पर बाणचलाये जैसे पहाइपर मेघ मोटी घारा वर्षे तसे रावणपर इन्द्रने बापोंकीवर्षाकरी रावणने इन्द्रकेवाष श्रावते २ काट डारे और अपने बाणोंफरशर मण्डप किया सूर्यको किरणबाणोंसे दृष्टि न भावे ऐसायुद्ध देख नारद आकाशमें नृत्य करताभया कलहदेख उपजे है हर्ष जिसकोजब इन्द ने जाना कि यह रावण सामान्य शस्त्रकर असाध्यहै तब इन्द्रने अग्निबाण रावणपर चलाया उससे रावणकी सेनाविषेत्राकुलला उपजी जैसे बोसोंका बन जले और इसकी तड़तड़ात ध्वनिहोय अग्निकी ज्वाला उठे तैसे अग्निबाण प्रज्वलित पाया तब रावणने अपनी सेनाको ब्याकुल देखकर तत्काल जलवाण चलाया सो मेघमाला उठी पर्वत समान जलकी मोटी धारा बरसनेलगी क्षणमात्रमें अग्नि बाण बुझगया तब इन्दने रावणपर तामस बाण चलाया उसकर दसोंदिशा में अन्धकार होगया रावण के कटक विषे किसीको कुछभी न सूझे तब रावणने प्रभास्त कहियें प्रकाश बाणचलाया उसकर क्षणमात्रमें सकल अंधकार विलय होगया जैसे जिन शासनके प्रभावकर मिथ्यात्वका मार्ग विलयजाय फिर रावण ने कोपकर इन्द्रपै नागवाण चलाया
For Private and Personal Use Only