Book Title: Padmapuran Bhasha
Author(s): Digambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
Publisher: Digambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
|| सुन्दर सर्व ऋतु की शोभा जहां बन रही है शुद्ध पारसी के तल समान मनोग्य भूमि पांच वर्ण के
रत्नों से शोभित जहां कुंदमौलमिरी मालती स्थल कमल जहां अशोकवृत्त नागवृच इत्यादि अनेक भ६२
प्रकार के सुगन्ध बृक्ष फूल रहे हैं तिन के मनोहर पल्लव लहलहाट करे हैं वहां राजा की आज्ञा कर महा भक्तिवन्त जे पुरुष उन्होंने श्रीरामको विराजने के निमित्त बस्त्रों के महामनोहर मण्डप बनाये सेवक जन महाचतुर सदा सावधान अति आदर के करण हारे मंगल रूप बाणी के बोलनहारे स्वामीकी भक्ति विषे । तत्पर उन्होंने वहुत तरहके चौडे ऊंचे वस्त्रों के मण्डप बनाये नाना प्रकार के चित्राम हैं जिनमें और जिन पर ध्वजा फर हरे हैं मोतियों की माला जिन के लटके हैं क्षुद घंटिकाओं के समूह कर युक्त और जहां मणियों की झालर लूंब रही हैं महा देदीप्यमान सूर्यकी सी किरण धरे और पृथिवी पर पूर्ण कलश थापे है
और छत्र चमर सिंहासनादि राज चिन्ह तथा सर्व सामग्री धरे हैं अनेक मंगल द्रव्य हैं ऐसे सुन्दर स्थल विषे सुख सों तिष्टे हैं, जहां जहां रघुनाथ पांव घरे वहां वहां पृथिवी पर गजा अनेक सेवा करें शय्या श्रासन मणि सुवर्ण के नाना प्रकारके उपकरण और इलायची लवंग ताम्बूल मेवा मिष्ठान्ह तथा श्रेष्ठ वस्त्र अद्भुत ग्राभूषण और महा सुगन्ध नाना प्रकारके भोजन दघि दुग्ध घृत भान्ति भान्ति के अन्न इत्यादि अनुपमवस्तु लावें इस भांति सर्व ठोर सब जन श्रीरामको पूजें वंशगिरिपर श्रीराम लक्षमण सीताके रहनेको मण्डप रचे तिनमें किसी ठौर गीत कहीं नृत्य कहीं वाजित्रवाजे हैं कहीं सुकृतकी कथा होयहै और नृत्य कारिणी ऐसा नृत्य करें मानों देवांगनाही हैं कहीं दान बटे हैं ऐसे मन्दिर बनाए जिनका कौन वर्णन करसके जहां सब सामग्री पूर्ण जो याचक आवें सो विमुख न जाय दोनों भाई सर्व ग्राभरणों
For Private and Personal Use Only